For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल [सरिता भाटिया]

दिलों को जो सुहाते हैं /
दिलों पे जाँ लुटाते हैं /

निगाहों से क़त्ल करके
मुझे कातिल बनाते हैं /

दिलों के हैं अजब रिश्ते
सदा अपने निभाते हैं /

यूँ पल पल मर रही हूँ मैं
मुझे जिन्दा बताते हैं /

सभी अपने तुम्हारे बिन
मुझे जीना सिखाते हैं /

सुना है ऐसे में अपने
भी दामन छोड़ जाते हैं /

.....................................

..मौलिक व् अप्रकाशित....

Views: 757

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 30, 2014 at 11:47am

हृदयस्पर्शी भावों को सुन्दर ग़ज़ल का रूप मिला है. बधाई,  आदरणीया सरिता जी..

क़त्ल लिखा है तो कतल न पढ़ें न बह्र में बाँधे... उसे कतल ही लिखें/ उर्दू लिहाज़ में फिर अक्षरी बनाये रखने का आग्रह उचित नहीं.

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 23, 2014 at 9:51pm

यूँ पल पल मर रही हूँ मैं 
मुझे जिन्दा बताते हैं /...................बहुत खूब 

सुन्दर ग़ज़ल हुई है आ० सरिता भाटिया जी 

शुभकामनाएं 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 23, 2014 at 8:49pm

आदरणीया सरिता जी, बहुत मर्मस्पर्शी गजल पर बधाई स्वीकारे

Comment by बृजेश नीरज on January 23, 2014 at 8:29pm

सुन्दर ग़ज़ल! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by विजय मिश्र on January 23, 2014 at 5:43pm
वाह सरिता दीदी ,मन की बात रखी | साधुवाद |
Comment by Sarita Bhatia on January 22, 2014 at 9:01pm

आदरणीय शिज्जू जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on January 22, 2014 at 9:01pm

प्रिय अरुण शुक्रिया ,स्नेह बनाये रखें |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 22, 2014 at 8:09pm

आदरणीया सरिता जी अच्छी ह्रदयस्पर्शी ग़ज़ल है बधाई स्वीकार करें

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 22, 2014 at 11:57am

आदरणीय सरिता जी व्याकुल मन से निकली बेहद सुन्दर ग़ज़ल. सभी अशआर पसंद आये ढेरों दिली दाद कुबूल फरमाएं.

Comment by Sarita Bhatia on January 22, 2014 at 10:21am

वंदना जी हार्दिक आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. तिलकराज सर,आपकी विस्तृत टिप्पणी ने संबल मिला है.मैं स्वयं के अशआर को बहुत कड़ी परीक्षा से…"
5 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
21 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"श्रद्धेय श्री तिलक राज कपूर जी, आप नाचीज़ की ग़ज़ल तक  पहुँचे, आपका अतिशय आभार, …"
23 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' ग़ज़ल तक आप आये और अपना बहुमूल्य समय दिया, आपका आभारी…"
39 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी बहुत- बहुत धन्यवाद आपका "
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय गुरमीत सिंह जी बहुत- बहुत धन्यवाद आपका छतरी की मात्रा गिराने हेतु आपकी चिंता ठीक…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु शकूर जी बहुत शुक्रिया आपका "
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी "
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार बहुत शुक्रगुज़ार हूँ आपका आपने वक़्त दिया मतला   "तुम्हारी…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आया सफर कब मंजिलों से याद आया।१। देखा जाये तो…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई शिज्जू शकूर जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। गिरह भी खूब हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया याद तो उन्हें भी आया और शायर को भी लेकिन…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service