For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल - जाग उठी सड़कें

जाग उठी सड़कें  उन्हें बस  सच बयानी चाहिए

कह  दो  संसद  से  न  कोई   लंतरानी  चाहिए

 

देख तो ! मैं बिक गया उसकी वफ़ा के नाम पर

ऐ  तिजारत ! अब  तुझे  नज़रें  झुकानी चाहिए

 

मैं  बना  दूँ  अपनी पेशानी पे सजदे  की लकीर

तू  बता तुझको  दिलों पर  हुक्मरानी  चाहिए ?

 

धूप  में जलना  पड़ेगा फिर सुबह से शाम तक

जिद  है बच्चों  की उन्हें  कुछ जाफरानी चाहिए

 

प्यार है तो आ मेरे माथे पर अपना नाम लिख

जिक्र  जब  मेरा  हो  तेरी  बात  आनी  चाहिए

 

कर  खसारा  मैं  भरे  बाज़ार  से  उठने को  हूँ

कह   रहे   हैं   लोग   थोड़ी   बेइमानी  चाहिए

 

मैं भी चुप हूँ तू भी तन्हा सोच मत पत्थर उठा

तु  भी  खुश, मेरे  लहू  को  भी  रवानी  चाहिए
.
.

अरुन श्री !

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 905

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Arun Sri on January 17, 2014 at 12:59pm

धन्यवाद ! :-))))))


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 14, 2014 at 6:55pm

बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है आ० अरुण श्रीवास्तव जी 

हर शेर पर बधाई स्वीकार कीजिये 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 9, 2014 at 1:31am

इस नायाब गज़ल को मैं दिल से स्वीकार करता हूँ.  हर शेर पर बार-बार दाद है. बार-बार दाद.. दिल खोल कर..

बहुत खूब !

Comment by Arun Sri on January 8, 2014 at 10:25am

बहुत धन्यवाद मीना पाठक मैम !

Comment by Arun Sri on January 8, 2014 at 10:24am

आदरणीय   योगराज प्रभाकर सर , आपकी टिपण्णी ने हौसला बढ़ाया ! सादर धन्यवाद !

Comment by Meena Pathak on January 7, 2014 at 2:00pm

क्या बात है ,,  बहुत खूब 

ढेरों दाद क़ुबूल कीजिये आदरणीय अरुन जी | सादर 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 7, 2014 at 12:28pm

//धूप  में जलना  पड़ेगा फिर सुबह से शाम तक
जिद  है बच्चों  की उन्हें  कुछ जाफरानी चाहिए// हासिल-ए-ग़ज़ल शेअर।    

एक एक शेअर नगीने की तरह जड़ा है भाई अरुण जी. हर शेअर एक अलग कहानी बयान कर रहा है. इस उच्च स्तर की ग़ज़ल पढ़ कर रूह को सुकून पहुंचा, मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

Comment by Arun Sri on January 7, 2014 at 11:16am

ajay sharma जी , गज़ल को अतिशय मान दिया आपने ! विशेष धन्यवाद आपको !

Comment by Arun Sri on January 7, 2014 at 11:15am

आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद जो आप सब ने इस नौसिखिए की गज़ल को सराहा , हौसला बढ़ाया !

Comment by बृजेश नीरज on January 6, 2014 at 10:25pm

वाह! बहुत सुन्दर! लाजवाब! आपको बहुत बहुत बधाई भाई जी!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
4 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम जी मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश नूर जीआपको बारिशों से जाने क्या-क्या याद आ गया। चाय, काग़ज़ की कश्ती, बदन की कसमसाहट…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, मुशायरे के आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई, शेष आदरणीय नीलेश 'नूर'…"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"ग़ज़ल — 1222 1222 122 मुझे वो झुग्गियों से याद आयाउसे कुछ आँधियों से याद आया बहुत कमजोर…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"अभी समर सर द्वारा व्हाट्स एप पर संज्ञान में लाया गया कि अहद की मात्रा 21 होती है अत: उस मिसरे को…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. . समुन्दर ने नदी को ख़त लिखा है मुझे इन…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service