For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शायद प्रेम वही कहलाये.....(अरुण कुमार निगम)

पूर्ण शून्य है,शून्य ब्रह्म है

एक अंश सबको हर्षाये

आधा और अधूरा होवे,

शायद प्रेम वही कहलाये

 

मिट जाये तन का आकर्षण

मन चाहे बस त्याग-समर्पण

बंद लोचनों से दर्शन हो

उर में तीनों लोक समाये

 

उधर पुष्प चुनती प्रिय किंचित

ह्रदय-श्वास इस ओर है सुरभित

अनजानी लिपियों को बाँचे

शब्दहीन गीतों को गाये

 

पूर्ण प्रेम कब किसने साधा

राधा-कृष्ण प्रेम भी आधा

इसीलिये ढाई आखर के

ढाई ही पर्याय बनाये .....

 

अरुण कुमार निगम

आदित्य नगर, छत्तीसगढ़

[मौलिक व अप्रकाशित]

Views: 741

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on December 1, 2013 at 10:41am

क अनुभूत सत्य को प्रकाशित करती जीवंत रचना ।

हार्दिक बधाई, आदरणीय अरुण निगम जी।

सादर,

विजय निकोर

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on November 23, 2013 at 12:28am

बधाई अरुण भाई सुंदर रचना की। सच ही कहा प्रेम कभी पूर्ण नही हो पाता ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 22, 2013 at 1:52am

आदरणीय अरुणभाई जी, तत्त्वबोध के प्रति आपका आग्रह रुचिकर लगा. सुन्दर प्रस्तुति हुई है, बधाई..

Comment by hemant sharma on November 22, 2013 at 12:06am

आदरणीय आपको सदस्य कार्यकारिणी बनने के लिये भी शुभकामनाये एवम बधाई..

Comment by hemant sharma on November 21, 2013 at 11:57pm

बहुत हि सुन्दर रचना आदरणीय निगम सर बधाई स्वीकारें......

 

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on November 21, 2013 at 9:42pm

वाह ! और वाह ! मधुरतम 

दिली मुबारकबाद के सच्चे हक़दार है आप 

Comment by विजय मिश्र on November 21, 2013 at 6:26pm
भव्य और गुढ़ तत्वों को समझाती इस सुंदर रचना के लिए अनेक बधाई अरुणजी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 21, 2013 at 4:34pm

आदरणीय अरुण निगम भाई , बहुत अद्भुत , बहुत सुन्दर बातें कही है प्रेम के ऊपर !!! सुंदर रचना के लिये आपको हार्दिक बधाई !!!!!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 21, 2013 at 11:49am

वाह वाह आदरणीय गुरुदेव श्री बहुत ही सुन्दर सुमधुर मनोहारी गीत प्रस्तुत किया है आपने पढ़कर मन तृप्त हो गया हृदयतल से बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

Comment by Saarthi Baidyanath on November 21, 2013 at 11:26am

ह्रदय आनंदित हो उठा ...पठनीय रचना ..वाह !

आधा और अधूरा होवे,

शायद प्रेम वही कहलाये....बेजोड़ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी।"
32 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"नमस्कार। प्रदत्त विषय पर एक महत्वपूर्ण समसामयिक आम अनुभव को बढ़िया लघुकथा के माध्यम से साझा करने…"
33 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी आपने रचना के मूल भाव को खूब पकड़ा है। हार्दिक बधाई। फिर भी आदरणीय मनन जी से…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"घर-आंगन रमा की यादें एक बार फिर जाग गई। कल राहुल का टिफिन बनाकर उसे कॉलेज के लिए भेजते हुए रमा को…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदाब। रचना पटल पर आपकी उपस्थिति, अनुमोदन और सुझाव हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।…"
1 hour ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय वामनकर जी।"
2 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय उस्मानी जी।"
2 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी,आपका आभार।"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"  ऑनलाइन शॉपिंग ने खरीदारी के मापदंड ही बदल दिये हैं।जरूरत से बहुत अधिक संचय की होड़ लगी…"
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय मनन सिंह जी जितना मैं समझ पाई.रचना का मूल भाव है. देश के दो मुख्य दलों द्वारा बापू के नाम को…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"जुतयाई (लघुकथा): "..और भाई बहुत दिनों बाद दिखे यहां? क्या हालचाल है़ंं अब?""तू तो…"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service