For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघु कथा - लिहाज (शुभ्रा शर्मा 'शुभ ')

राधे श्याम जी पान की दूकान पर हाथ में सिगरेट छुपाये खड़े थे | तभी आठ -नौ साल का लड़का राजा दूकान से गुटखा खरीद खा कर चल दिया |

एक महोदय दुकानदार से -जब अठारह साल से कम उम्र के लोगों को तंबाकू पदार्थ ना देने का बोर्ड लगाये हैं फिर भी आपने क्यों दे दिया ?
दुकानदार -मुझे क्या मालूम की ये अपने लिए ले रहा है या घर के बड़ों के लिए | और यदि जान भी जाएँ कि ये खुद खायेगा तब भी मैं नहीं दूंगा तो किसी और दूकान से ले लेगा , मैं नुकसान में क्यों रहूँ ,खीं -खीं करते हुए बोला |

राधेश्याम जी अपनी चुप्पी तोड़ते हुए बोले -ये मेरे विद्यालय में कक्षा चार का विद्यार्थी है ,मैं इसके ही लिहाज से सिगरेट नहीं जला रहा था , पर वो तो .......................

शुभ्रा शर्मा 'शुभ '

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 666

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shubhranshu Pandey on September 16, 2013 at 6:21pm

आदरणीय शुभ्रा जी 

जब गुरु जी ही ऎसी दूकानों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं..... तो चेला तो चीनी होता ही है...गुरु जी की झिझक मिटा कर चला गया.

गुरु को शिक्षा के साथ साथ आचार, विचार, व्यवहार,संस्कार सभी का संप्रेषण उचित ढंग से करना चाहिये..

सादर.

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 6, 2013 at 1:54pm

यही यथार्थ है कलियुग का यह सबसे बड़ा प्रमाण है आदरणीया बिलकुल सटीक लघुकथा है बहुत बहुत बधाई

Comment by Meena Pathak on September 5, 2013 at 11:34pm

बहुत सुन्दर लघुकथा .. हार्दिक बधाई

Comment by बृजेश नीरज on September 5, 2013 at 8:32pm

ऐसा ही होता है। अच्छी कथा! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 5, 2013 at 8:28pm

लिहाज, एक ऐसा संस्कार है, जिसका अनुकरण हर उम्र ,चाहे बच्चे, युवा या बुजुर्ग हो अपने अंदर जीवित रखना चाहिए,

बहुत बढ़िया लघुकथा, बधाई आदरणीया शुभ्रा जी

Comment by ram shiromani pathak on September 5, 2013 at 8:13pm

बहुत ही सटीक समस्या से अवगत कराया है आपने आदरणीया सुभ्रा जी ,साधुवाद

Comment by annapurna bajpai on September 5, 2013 at 7:29pm

अच्छी लघु कथा , बधाई आपको आ0 शुभ्रा जी । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 5, 2013 at 1:39pm

आदरणीया शुभ्रा जी , बहुत अच्छी लघुकथा , एक ऐसी समस्या को उजागर करती जिसे टी व्ही से संस्कार पाने वाले समस्या मानते ही नही , आधुनिकता की निशानी समझते है !! आपको बधाई !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तस्दीक अहमद जी आदाब, बहुत सुंदर ग़ज़ल हुई है बहुत बधाई।"
4 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"लक्ष्मण धामी जी अभिवादन, ग़ज़ल की मुबारकबाद स्वीकार कीजिए।"
4 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय दयाराम जी, मतले के ऊला में खुशबू और हवा से संबंधित लिंग की जानकारी देकर गलतियों की तरफ़…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी, तरही मिसरे पर बहुत सुंदर प्रयास है। शेर नं. 2 के सानी में गया शब्द दो…"
5 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"इस लकीर के फकीर को क्षमा करें आदरणीय🙏 आगे कभी भी इस प्रकार की गलती नहीं होगी🙏"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय रिचा यादव जी, आपने रचना जो पोस्ट की है। वह तरही मिसरा ऐन वक्त बदला गया था जिसमें आपका कोई…"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय मनजीत कौर जी, मतले के ऊला में खुशबू, उसकी, हवा, आदि शब्द स्त्री लिंग है। इनके साथ आ गया…"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी ग़जल इस बार कुछ कमजोर महसूस हो रही है। हो सकता है मैं गलत हूँ पर आप…"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बुरा मत मानियेगा। मै तो आपके सामने नाचीज हूँ। पर आपकी ग़ज़ल में मुझे बह्र व…"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, अति सुंदर सृजन के लिए बधाई स्वीकार करें।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सादर अभिवादन। लम्बे समय बाद आपकी उपस्थिति सुखद है। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक…"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"ग़ज़ल 221, 2121, 1221, 212 इस बार रोशनी का मज़ा याद आगया उपहार कीमती का पता याद आगया अब मूर्ति…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service