For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सलवटें करवटें औ याद सहर से पहले

मिली हैं करवटें औ याद सहर से पहले
पिए हैं इश्क़ के प्याले जो जहर से पहले  

जो दिल के खंडहर में अब बहें खारे झरने  
यहाँ पे इश्क की बस्ती थी कहर से पहले

ग़ज़ब हैं लोग खुश हैं देख यहाँ का पानी
नदी बहती थी जहाँ एक नहर से पहले

कहाँ उलझा हुआ है गाफ़ अलिफ में अब तक
रदीफ़ो काफिया संभाल बहर से पहले

नहीं आसां है उजालों का सफ़र भी इतना  
जले है दीप सारी रात सहर से पहले

संदीप पटेल "दीप"

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 535

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on July 27, 2013 at 1:06am

कहाँ उलझा हुआ है गाफ़ अलिफ में अब तक
रदीफ़ो काफिया संभाल बहर से पहले

हा हा हा ... क्या कहने :))))))))))))


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 17, 2013 at 6:32pm

नहीं आसां है उजालों का सफ़र भी इतना  
जले है दीप सारी रात सहर से पहले ----वाह शानदार मकता ,बढ़िया ग़ज़ल दाद कबूल करें 

Comment by राजेश 'मृदु' on July 17, 2013 at 5:32pm

जय हो, आदरणीय सुंदर गजल पेश की है, सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 17, 2013 at 2:19pm

वाह प्रिय मित्रवर वाह क्या कहने बहुत ही सुन्दर लाजवाब लाजवाब लाजवाब

ग़ज़ब हैं लोग खुश हैं देख यहाँ का पानी
नदी बहती थी जहाँ एक नहर से पहले .... वाह इस शेर की गहराई ने लूट लिया भाई जी लूट लिया.

हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 17, 2013 at 12:08pm

aadarneey Shijju S. ji saadar prnaam

aapka bahut bahut dhanyvaad

ji haan mujhe bhi lag rhaa hai ab ki eb hai

bahut bahut aabhar aapka sneh yun hi banaye rakhiye


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 16, 2013 at 5:45pm

//मिली हैं करवटें औ याद सहर से पहले
पिए हैं इश्क़ के प्याले जो जहर से पहले//

बेहतरीन शेर संदीप जी

आपके ग़ज़लों की कमी खल रही थी संदीप जी, बेहतरीन ग़ज़ल बन पढ़ी है

//जो दिल के खंडहर में अब बहें खारे झरने
यहाँ पे इश्क की बस्ती थी कहर से पहले//

यहाँ कहीं तकाबुले रदीफ़ तो नही हो रहा है.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सहर्ष सदर अभिवादन "
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर सारगर्भित कुण्डलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई।"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथलेश जी, सुंदर सारगर्भित रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर कुंडली छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
16 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" "पर्यावरण" (दोहा सप्तक) ऐसे नर हैं मूढ़ जो, रहे पेड़ को काट। प्राण वायु अनमोल है,…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। पर्यावरण पर मानव अत्याचारों को उकेरती बेहतरीन रचना हुई है। हार्दिक…"
18 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"पर्यावरण पर छंद मुक्त रचना। पेड़ काट करकंकरीट के गगनचुंबीमहल बना करपर्यावरण हमने ही बिगाड़ा हैदोष…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"तंज यूं आपने धूप पर कस दिए ये धधकती हवा के नए काफिए  ये कभी पुरसुकूं बैठकर सोचिए क्या किया इस…"
22 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service