For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पीढ़ियों का अंतर

पीढ़ियों का अंतर

पीढियों के अंतर में कसक भरी तड़पन है

इनकी अंतरव्यथा में गहरी चुभन है

जिंदगी की सांस् सिसकियों में सिमटी जा रही है

जिसमें खुशनुमा सी सुबह धुंधली होती जा रही है

दादा दादी, नाना नानी ,पोते पोती ,नाती नातिनें

मिलजुल कर प्यार से रहने के वो रिवाज़औरस्में

क्यूँ आ गई है दीवारें इनमें

कैसे पाटा जायेगा ये अंतर हमसे

ये अंतर घर परिवार की खुशियों को खा रहा है

ऐसा पहले तो नहीं था अब कहाँ से आ रहा है

वर्तमान परिस्थितियां का रुख ऐसा हो चला हैं

जिससे पीढ़ियों का मन शिकायतों से भर गया है

इनके मध्य की डोर ऐसी उलझ गई है

जो सुलझने की बजाय और उलझने लगी है

आज पीढ़ियों का अंतर नासमझी का पर्याय बन गया

अपने अपने स्वाभिमान में खोकर रह गया है

बात सचमें पीड़ा की है

बच्चे अपने बड़ों की न सुनें

बात बेबात उन्हें तिरस्कृत करें

घर की बात बाहर करने में न झिझकें

आज पीढ़ियों में सोच व दृष्टिकोण का अंतर हो गया है

उनके बीच का ये अंतर चिंतन योग्य हो गया है

बात एक दूसरे को समझने की है

घर के सुख , शांति और समृद्धि की है

बुढ़ापे का अनुभव भरा प्यार

बचपन और यौवन के उल्लास से मिल जाए

तो पारिवारिक हंसी ख़ुशी परिवार से न जाए

 

 

विजयाश्री

१०.०७ २०१३

(मौलिक और अप्रकाशित)

 

Views: 1256

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 14, 2013 at 9:42pm

आपकी रचना की संप्रेषणीयता पर आदरणीया इतना ही कहूँगा, कथ्य प्रस्तुतिकरण में कविता रह गयी है. इस विषय पर आपका कहा गद्यात्मक आलेख स्वरूप पाठकों के लिए बेहतर भावदशा  होती. आपके प्रयास पर हार्दिक शुभकामनाएँ .. प्रयासरत रहें, आदरणीया

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on July 14, 2013 at 9:26pm

जनरेशन गैप पर सुंदर रचना के लिये बधाई..........

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 14, 2013 at 4:34pm

बात एक दूसरे को समझने की है

घर के सुख , शांति और समृद्धि की है

बुढ़ापे का अनुभव भरा प्यार

बचपन और यौवन के उल्लास से मिल जाए

तो पारिवारिक हंसी ख़ुशी परिवार से न जाए -  आपकी कए रचना दरशल पीढ़ी दर पीढ़ी आये अंतर को लेकर है आद विजयाश्री जी 

ये जेनेरशन गेप, विकास, घर के बढ़ते आकार के कारण परिवार दे ढांचागत परिवर्तन आदि कई कारणों से होता है | रचना 

में सार्थक बात कही है आपने और समापन सुन्दर सन्देश से किया है, इसके लियी हार्दिक बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 14, 2013 at 2:43pm

ये अंतर घर परिवार की खुशियों को खा रहा है

ऐसा पहले तो नहीं था अब कहाँ से आ रहा है.....सार्थक प्रश्न करती अभिव्यक्ति 

वैसे कथ्य चिंतन परक और प्रभावशाली है,जिसके लिए हार्दिक बधाई ... पर वाक्याश बहुत बड़े होने के कारण अभिव्यक्ति थोड़ी कमज़ोर लग रही है.

शुभकामनाएँ 

Comment by Kavita Verma on July 13, 2013 at 2:37pm

peedhiyon ka antar to har yug me raha hai lekin ab samjhdari ki jarurat jyada hai ..sundar  rachna 

Comment by D P Mathur on July 12, 2013 at 8:46pm

आदरणीया विजयाश्री जी पीढ़ियों का अन्तर मिटाने की कामना अच्छी है ,
रिश्तों की सच्चाई और नसीहत का भाव सुन्दर शब्दों में , आपको बधाई !

Comment by Pankaj Trivedi on July 12, 2013 at 7:06pm

बहौत सुन्दर

Comment by Shyam Narain Verma on July 12, 2013 at 5:09pm

अतिसुन्दर प्रस्तुति।   हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" पर्यावरण की इस प्रकट विभीषिका के रूप और मनुष्यों की स्वार्थ परक नजरंदाजी पर बहुत महीन अशआर…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"दोहा सप्तक में लिखा, त्रस्त प्रकृति का हाल वाह- वाह 'कल्याण' जी, अद्भुत किया…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीया प्राची दीदी जी, रचना के मर्म तक पहुंचकर उसे अनुमोदित करने के लिए आपका हार्दिक आभार। बहुत…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी इस प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका मेरे प्रयास को मान देने के लिए। सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह एक से बढ़कर एक बोनस शेर। वाह।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"छंद प्रवाह के लिए बहुत बढ़िया सुझाव।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"मानव के अत्यधिक उपभोगवादी रवैये के चलते संसाधनों के बेहिसाब दोहन ने जलवायु असंतुलन की भीषण स्थिति…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" जलवायु असंतुलन के दोषी हम सभी हैं... बढ़ते सीओटू लेवल, ओजोन परत में छेद, जंगलों का कटान,…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी है व्योम में, कहते कवि 'कल्याण' चहुँ दिशि बस अंगार हैं, किस विधि पाएं त्राण,किस…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"भाई लक्षमण जी एक अरसे बाद आपकी रचना पर आना हुआ और मन मुग्ध हो गया पर्यावरण के क्षरण पर…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"अभिवादन सादर।"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service