For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हवा मिस- झुक -लुक -लुक -छुप

हवा मिस- झुक -लुक -लुक -छुप


डार-डार से करे अंखियां चार


कस्तूरी हुई गुलाब की साँसें


केवड़ा,पलाश करे श्रृंगार


छूते ही गिर जाये पात लजीले


इठलाती-मदमाती सी बयार


सुन केकि-पिक की कुहूक-हूक


बौरे रसाल घिर आये कचनार


अम्बर पट से छाये पयोधर


सुमनों पर मधुकर गुंजार


कुंजर,कुरंग,मराल मस्ती में


मनोहर,मनभावन संसार


यमुना- तीरे माधव बंशी


फिर राधे-राधे करे पुकार


नख-शिख सज चली राधे-रमणी


भर मन-अनुराग अपरम्पार




मेरी पुस्तक "एक कोशिश रोशनी की ओर "से

Views: 784

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rash Bihari Ravi on December 10, 2010 at 3:45pm

vah khubsurat manmohak

Comment by Abhinav Arun on December 10, 2010 at 2:51pm

अहा !वाह वाह ! क्या रवानगी है |शब्द जैसे झरने से झर रहे हों |

Comment by Chhavi Chaurasia on June 12, 2010 at 3:29pm
हवा मिस- झुक -लुक -लुक -छुप डार-डार से करे अंखियां चार
कस्तूरी हुई गुलाब की साँसें केवड़ा,पलाश करे श्रृंगार..... बहुत ही खूबसूरत और मनभावन कविता है. ख़ासकर पहली लाइन ...हवा मिस- झुक -लुक -लुक -छुप ...पढ़ने मे एक अलंकार की अनुभूति होती है.
Comment by aleem azmi on June 9, 2010 at 1:01pm
mam bahut umda ...ati sunder

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 9, 2010 at 9:36am
छूते ही गिर जाये पात लजीले
इठलाती-मदमाती सी बयार
सुन केकि-पिक की कुहूक-हूक
बौरे रसाल घिर आये कचनार

बहुत बढ़िया लिखी है आशा दीदी, काफ़ी सुंदर रचना बन पड़ी है,
Comment by asha pandey ojha on June 8, 2010 at 11:45am
admin ji ,satish ji ,Sanjiv ji Preetam ji & yograj ji sir ...aap sabhee ka bahut bahut aabhar ..ye rachna padh kar housla afzai karne ka ....dil se shukriya ..

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 7, 2010 at 7:59pm
कमाल की कविता कही है आशा जी, एक एक पंक्ति में संगीत है! //कस्तूरी हुई गुलाब की साँसें //
गुलाब की सांसें ??? वाह वाह वाह इतने कोमल भाव और सोच की इतनी ऊंची उड़ान? हद है हद ! इसके आगे नि:शब्द हूँ , जय हो !
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on June 7, 2010 at 6:56pm
bahut hi badhiya rachna hai asha didi......aisehi likhte rahe...
Comment by sanjiv verma 'salil' on June 7, 2010 at 6:43pm
मुझको यह रचना रुची
Comment by satish mapatpuri on June 7, 2010 at 5:01pm
अम्बर पट से छाये पयोधर


सुमनों पर मधुकर गुंजार


कुंजर,कुरंग,मराल मस्ती में


मनोहर,मनभावन संसार
आशा जी, हर कवि को कुदरत की शै लुभाती है, पर आपका यह चित्रण वाकई काबिले तारीफ़ है, धन्यवाद.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
16 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service