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१-अँधेरा

जिधर देखो उधर अँधेरा ही अँधेरा
तुम नजर उठाओ तो सही
गाँव ,शहर ,या घर में भी
काली रातें, घोर अन्धेरा
और कहीं
कुछ दिखता है क्या ?
बहुत अंधकार दिख रहा है ना
क्या कोई दीपक जल रहा है
तो उसे जलने दो

२-बूढ़ा बाप-

बेजान कमरे में !
मेरा दम घुटने लगा है
यहाँ से नहीं निकाल सकते तो
कम से कम मार ही डालो मुझे

३-दर्द

न दिखने वाले दर्द से दब गया हूँ
इसलिए रो रहा हूँ की
थोड़ा हलका हो जाऊ

४-तनहाई

तनहाई की रात
मै और मेरी तनहाई
एक चादर में लिपटे
रात भर बतियाते रहे

५-पूँजी

मेरी पूँजी
मेरी कवितायेँ
और है ही क्या मेरे पास

६-सुन्दरता

चाँद जैसा मुखड़ा
बालो में फूल लगाये हुए
चेहरे की चमक जैसे
पुष्प पे ओस की बूँद का
रजत आकर्षण
अचंभित टुकटुकी लगाये
निहारे जा रहा था


७-रक्त

पहले गरम हुआ
फिर खौलने लगा रक्त
जैसे ही देश सेवा की बात आई !!

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

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Comment

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Comment by ram shiromani pathak on April 25, 2013 at 12:21pm

हार्दिक आभार आदरणीय अशोक सर /////

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 25, 2013 at 8:37am

२-बूढ़ा बाप-

बेजान कमरे में !
मेरा दम घुटने लगा है
यहाँ से नहीं निकाल सकते तो
कम से कम मार ही डालो मुझे............बहुत मार्मिक.

सभी क्षणिकाएं बढ़िया हैं भाई राम शिरोमणि जी हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by ram shiromani pathak on April 24, 2013 at 2:22pm

हार्दिक आभार आदरणीय भाई अरुण जी ///

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 24, 2013 at 2:13pm

वाह अनुज वाह बहुत ही सुन्दर क्षणिकाएं, आपकी कलम की धार तेज होती जा रही है घिसाई करते रहिये मंजिल दूर नहीं. हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by ram shiromani pathak on April 24, 2013 at 2:01pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुरेन्द्र शुक्ला जी //////ऐसे ही स्नेह बनाये रखे ////

Comment by ram shiromani pathak on April 24, 2013 at 2:00pm

हार्दिक आभार आदरणीय मनोज शुक्ला जी  ////////

Comment by ram shiromani pathak on April 24, 2013 at 1:57pm

हार्दिक आभार आदरणीया कल्पना जी / सादर

Comment by ram shiromani pathak on April 24, 2013 at 1:57pm

हार्दिक आभार आदरणीया प्राची मैम/ सादर प्रणाम ///ऐसे ही स्नेह बनाये रखे ////

Comment by कल्पना रामानी on April 24, 2013 at 1:10pm

तनहाई की रात
मै और मेरी तनहाई
एक चादर में लिपटे
रात भर बतियाते रहे...

बहुत सुंदर, राम शिरोमणि जी...बधाई आपको


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 24, 2013 at 12:59pm

क्षणिकाओं पर सुन्दर कलम चली है प्रिय राम शिरोमणि जी 

हार्दिक बधाई 

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