For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(होली) इक दूजे पर डालिये ,पुष्प रंग के घोल

मौसम में भी मच रही, फागुन की अब धूम|

झूमें हँस-हँस मंजरी, भँवरे जाते  चूम||

 

डाल-डाल पर खिल रहे,केसर टेसू फूल|

आपस में घुल मिल गए ,बैर भाव को भूल||

 

महकी डाली आम की,मादक-मादक भोर|

लिखती पाती प्रेम की,होकर मस्त विभोर||

 

कान्हा को फुसला रही,फागुन प्रीत बयार|

राधा जी को भा रही,स्नेहिल रंग फुहार||

 

चन्दा ने फैला दिया,चाँदी भरा रूमाल|

सूरज ने बिखरा दिया,पीला ,लाल गुलाल||

 

क्यारी-क्यारी दे रही,महादेव को भंग|

फूल और तरकारियाँ ,बाँट रही हैं रंग|| 

 

तन-मन को भरमा रहे,होली के हुडदंग|

दरवाजे पर बज रहे,ढ़ोला फाग  मृदंग||  

 

होली में मत भूलिये ,आँखें हैं अनमोल|

इक दूजे पर डालिये ,पुष्प रंग के घोल||

*****************************              

Views: 468

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 22, 2013 at 8:15pm

प्रिय प्राची जी आपकी प्रतिक्रिया से मन फाग की फुहार सम मस्त विभोर हो गया,होली की  अग्रिम बधाईयां|


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 22, 2013 at 3:32pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी 

बहुत बहुत मज़ा आ गया इतनी सुन्दर दोहावली पढ़ कर 

आपकी कल्पनाशीलता के माधुर्य की मैं सच में कायल हूँ......

चन्दा ने फैला दिया,चाँदी भरा रूमाल|

सूरज ने बिखरा दिया,पीला ,लाल गुलाल||...........वाह कितना खूबसूरत दृश्य उकेरा है, मानों पूरी प्रकृति होली की तैयारियों में लगी हमारे साथ आनंदित है... बहुत सुन्दर,

डाल-डाल पर खिल रहे,केसर टेसू फूल|

आपस में घुल मिल गए ,बैर भाव को भूल||........यकीन मानिए अपने कॉलेज से घर तक के खूबसूरत रास्ते पर पेड़ों से झूलते रंग बिरंगे फूलों को देख आजकल मुझे भी ऐसा ही लगता है....

हर दोहा लाजवाब है..

इस खूबसूरत दोहावली के लिए दिल से ढेर ढेर सारी बधाई दे रही हूँ.

होली की बहुत बहुत शुभकामनाओं के साथ

सादर.

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 21, 2013 at 4:48pm

राजेश कुमार झा जी हार्दिक आभार दोहे आपको रुचिकर लगे होली की अग्रिम बधाई|

Comment by राजेश 'मृदु' on March 21, 2013 at 4:36pm

सुंदर चित्रण के साथ अंत में अच्‍छा संदेश भी ' आंखों का रखें खयाल', सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 21, 2013 at 11:07am

राम शिरोमणि पाठक जी इस सराहना हेतु दिल से आभार होली की बधाई आपको |

Comment by ram shiromani pathak on March 21, 2013 at 11:03am

मौसम में भी मच रही, फागुन की अब धूम|

झूमें हँस-हँस मंजरी, भँवरे जाते  चूम||

 

डाल-डाल पर खिल रहे,केसर टेसू फूल|

आपस में घुल मिल गए ,बैर भाव को भूल||

 

आदरणीया राजेश कुमारी जी,बहोत  ही सुन्दर चित्रण किया है आपने ...प्रणाम सहित हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 21, 2013 at 9:14am

केवल प्रसाद जी  हार्दिक आभार आपको दोहे रुचिकर लगे होली की शुभ शुभकामनाएं|


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 21, 2013 at 9:13am

ब्रजेश कुमार सिंह जी हार्दिक आभार आपको दोहे रुचिकर लगे होली की शुभ कामनाए|

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 20, 2013 at 8:00pm

आदरणीय राजेश कुमारी जी, बहुत सुन्दर दोहे शुभकामनाएं! 

Comment by बृजेश नीरज on March 20, 2013 at 7:53pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी आपने ओ बी ओ पर होली का शुभारंभ बहुत ही गहरे रंगों से किया है। इन बेहतरीन दोहों के लिए मेरी बधाई स्वीकारें।
आभार सहित!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
yesterday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
yesterday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service