For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कहनी होती है जो बात
कह नहीं पाते
संकोच उठता है
मन में डर लगता है
कहीं शब्द रचना भूल जाएँ
बाहर निकलते निकलते शब्द
अपना रास्ता भूल जाएँ
बात कोई खास नहीं होती
साधारण शब्द होते हैं
पर पेट से उठते हैं और
गले में अटक जाते हैं
फिर कोशिश होती है
बाहर निकालने की
नये शब्द निर्माण कर
फिर कोई नई अङचन
पैदा हो जाती है
बहुत बार कोशिशें होती हैं
हर बार नाकाम होता हूँ
अबकी बार दिल कङा किया
जो बात कहनी है
वो कहके ही रहूँगा
पास जाकर कोशिश की
बोलने के लिए मुँह खोला
फिर अहसास हुआ
शब्द रचना फिर भूल गया
गले में फिर कुछ अटक गया।

- सतवीर वर्मा 'बिरकाळी'

Views: 517

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 3, 2013 at 9:53pm
आदरणीय डॉ॰ प्राची सिंह जी, लक्ष्मण प्रसाद लङीवाला जी, विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय जी, रविकर जी और राम शिरोमणी पाठक जी आप सभी की मेरी इस तुच्छ रचना दी गई प्रभावी टिप्पणियाँ और हौंसला अफजाई के लिए शुक्रिया। आप सभी साहित्यकारों के मार्गदर्शन में अगर मैं कुछ सीख सका तो अपने को धन्य समझूँगा।

"लता बन आसमान छू लूँ, पर कोई तो सहारा चाहिए।
गर वो सहारा आप सब बनें, रवि ना छू लूँ तो कहिए।।"
Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 3, 2013 at 9:39pm
आदरणीय श्रीमती मञ्जरी पाण्डे जी और मीना पाठक जी, इस गले में शब्द अटकने की क्रिया में मैंने बहुत कुछ पाकर भी खो दिया है और वो शायद ही मिले।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 2, 2013 at 5:38pm

कहना चाहें कह ना पाएं...............की अजीब कशमकश को प्रस्तुत किया है आ. सतवीर वर्मा जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 2, 2013 at 11:34am

वाह सतवीर जी, अक्सर शब्द चयन और मन के भाव के मध्य बड़ी उलझन होती है | जो भाव है उसके लिए सही शब्द का चयन कथ्य, शिल्प, गेयता का समझ की उलझन में जो गले तक अटक जाती बात है, उसको बखूबी साझा किया है आपने | हार्दिक बधाई 

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 1, 2013 at 6:26pm
एक रचनाकार का शब्दों और भावों के मध्य द्वन्द को आपने बखूबी उभारा।बधाई
Comment by रविकर on March 1, 2013 at 3:28pm

अजीब उथल-पुथल आदरणीय-

शुभकामनायें-

साँचा नाचा चतुर्दिक, शब्द अब्द कटि चोज |

चुने चुनिन्दा चुनरियाँ, सोहै ओज उरोज |

सोहै ओज उरोज, रोज अभ्यास निरंतर |

दूर करे त्रुटि खोज, करे निर्मल तनु-अंतर |

भरे भाव रस छंद, बचे नहिं खाली खाँचा |

काव्य रचे मतिमंद, मिले जो गुरुवर साँचा ||

*चोज=सुभाषित /मजाकिया बात

Comment by ram shiromani pathak on March 1, 2013 at 2:18pm

पास जाकर कोशिश की
बोलने के लिए मुँह खोला
फिर अहसास हुआ
शब्द रचना फिर भूल गया
गले में फिर कुछ अटक गया।

आदरणीय बहोत ही बढ़िया कहा आपने.......बधाई हो 

Comment by Meena Pathak on March 1, 2013 at 2:14pm

हो जाता है कभी-कभी सतवीर जी, कुछ कहते-कहते शब्द अटक जातें हैं  ..... सुन्दर रचना हेतु बधाई 

Comment by mrs manjari pandey on March 1, 2013 at 1:27pm

   सतबीर वर्मा जी अच्छा लिखा कबि कभी यूँ ही कुछ अनकहा रह जाता है कुछ कहा जाता है ,कुछ अटक जाता है। बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
35 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
39 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
59 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday
Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service