For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मंगल मय हो नूतन वर्ष - लतीफ़ ख़ान

लिख कर अनुभव पत्रिका पार क्षितिज के पुराना साल गया |
ले कर कोरे पृष्ठ सहस्त्र देखो आया है फिर साल नया |
    हों सम्बंध नए हों अनुबंध नए,
    नव निर्मित बंधों के हों तटबंध नए,
    इक नई कथा लिखें इक नई प्रथा लिखें,
    जीवन पृष्ठ पर लिखें नित छंद नये,
दुःख बिसराने सुख बिखराने देखो आया है फिर साल नया |
लिख कर अनुभव पत्रिका पार क्षितिज के पुराना साल गया |
    हो दर्श नया हर्ष नया उत्कर्ष नया,
    जो भी रचें हम, रचें सहर्ष नया,
    उन्नति के नित नए आयाम गढ़ने,
    सृजन पथ पर हो नित संघर्ष नया,
कुछ सुलझाने कुछ समझाने देखो आया है फिर साल नया |
लिख कर अनुभव पत्रिका पार क्षितिज के पुराना साल गया |
    हो अभिलाष नया हो विश्वास नया,
    नूतन गढ़ने का हो प्रयास नया,
    शूल शलाका समूल नष्ट हो जाए,
    वन उपवन में हो मधुमास नया,
रस बरसाने मन महकाने देखो आया है फिर साल नया |
लिख कर अनुभव पत्रिका पार क्षितिज के पुराना साल गया |
    छल प्रपंच के व्याकरण न सीखें,
    हम सीखें प्रेम की नई परिभाषा,
    घृणा द्वेष के मन गणित भुला कर,
    पर पीड़ा उन्मूलन की हो अभिलाषा,
कुछ सिखलाने कुछ दिखलाने देखो आया है फिर साल नया |
लिख कर अनुभव पत्रिका पार क्षितिज के पुराना साल गया |

शुभाकांक्षी...लतीफ़ ख़ान (दल्लीराजहरा)

Views: 553

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 6, 2013 at 1:49pm

आदरणीय लतीफ़ सर नव वर्ष प्रस्तुत गीत बहुत मनमोहक और सुन्दर है हार्दिक बधाई.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 5, 2013 at 3:23pm

लेकर कोरे पृष्ठ सहस्त्र देखो आया है फिर साल नया..

यह मुख्य पंक्ति बहुत सुन्दर है, नए वर्ष की नवीनता को संजोये...बहुत बहुत बधाई 

नव वर्ष पर सुन्दर सपनों से सजे इस गीत के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय लतीफ़ खान जी.

नव वर्ष के हार्दिक शुभकामनाएं.

Comment by लतीफ़ ख़ान on January 5, 2013 at 10:42am

आप सभी आदरणियों का धन्यवाद |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 5, 2013 at 10:25am

लिख कर अनुभव पत्रिका पार क्षितिज के पुराना साल गया

सकारात्मक पंक्तियों से लबालब गीत के लिए आपका सादर आभार, आदरणीय लतीफ़ खान साहब. नव वर्ष की अनेकानेक शुभकामनाएँ और बधाइयाँ. आप सपरिवार सानन्द, स्वस्थ और संतुष्ट रहें.

सादर

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 5, 2013 at 8:57am

आदरणीय लतीफ खान साहब सादर, नव वर्ष पर सुन्दर गीत की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकारें साथ नव वर्ष की शुभकामनाएं.सादर.

Comment by satish mapatpuri on January 5, 2013 at 1:59am

छल प्रपंच के व्याकरण न सीखें, हम सीखें प्रेम की नई परिभाषा, घृणा द्वेष के मन गणित भुला कर, पर पीड़ा उन्मूलन की हो अभिलाषा, कुछ सिखलाने कुछ दिखलाने देखो आया है फिर साल नया | लिख कर अनुभव पत्रिका पार क्षितिज के पुराना साल गया | ... काश ! ऐसा ही हो . आपकी दुआओं में मैं भी अपना स्वर मिला रहा हूँ खान साहेब . नववर्ष की हार्दिक बधाई .

Comment by SUMAN MISHRA on January 4, 2013 at 5:12pm

श्री खान जी आपकी  रचना नव वर्ष की नयी प्रस्फुटित कली की तरह सुंगंध से भरी हुयी बहुत सुंदर रचना है...बधाई सर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 4, 2013 at 4:02pm

बहुत सुन्दर रचना लिखी है आपने साहब
बहुत बहुत बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service