For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरा रस्‍ता रोक रही हैं/तेरी ही बातें अक्‍सर

कटु-मधु
कुछ भींगी यादें
लेकर आई
हर दुपहर
ढूंढा जब भी
नया ठिकाना
पहुंच गई
लेकर नश्‍तर

कमतर जिनको आंक रहे थे
कर गए आज मुझे बेघर

घुटने भर की
आशा लेकर
उड़ा विहग
जब भी खुलकर
काली स्‍याही
लेकर दौड़े
लिए पंख
धूसर-धूसर

हमने जिनको गले लगाया
कर गए वे जीना दूभर

Views: 414

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 25, 2012 at 7:58pm

आदरणीय राजेश कुमार झा जी बहुत सुन्दर भाव और प्रवाह. बधाई स्वीकारें.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 24, 2012 at 10:53am

कोमल कोमल भावों का सुन्दर शब्द चित्र...मुग्धकारी शब्द संयोजन के लिए बधाई 

Comment by MAHIMA SHREE on December 23, 2012 at 7:59pm

घुटने भर की
आशा लेकर
उड़ा विहग
जब भी खुलकर
काली स्‍याही
लेकर दौड़े
लिए पंख
धूसर-धूसर

क्या बात है ...सुंदर प्रस्तुति हमेशा की तरह ..बधाई स्वीकार करें


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 22, 2012 at 6:12pm

प्यास रह गयी और पानी ओरा गया.. . आपकी रचनाओं से अक्सर यही प्रतीत होता है.

आदरणीय राजेश झाजी, आपका पद्य-प्रयास झुमा देता है. बस, संभव हो तो थोड़ा और समय दीजिये. बधाई.

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 22, 2012 at 10:53am

आदरणीय राजेश जी बहुत ही सुन्दर गीत है सभी पंक्तियाँ उम्दा भाव लिए हुए हैं बधाई स्वीकारें

Comment by seema agrawal on December 21, 2012 at 8:15pm

घुटने भर की
आशा लेकर
उड़ा विहग
जब भी खुलकर
काली स्‍याही
लेकर दौड़े
लिए पंख
धूसर-धूसर....वाह बहुत सुन्दर पंक्तियाँ राजेश जी अच्छा गीत लय पर आपकी पकड़ बहुत अच्छी है 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
5 minutes ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service