For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम  नशा अरु प्रेम मजा सब, प्रेम कथा अरु प्रेम हि भक्ति व,

प्रेम हि भाव व प्रेम सुभाव व,प्रेम हि त्याग व प्रेम हि शक्ति व,

मीत भि प्रेम हि प्रीत भि प्रेम हि,प्रेम हि संग व साथ भि प्रेम हि,

प्रेम हि सत्य समाज भि प्रेम हि,प्रेम हि जीवन जीव भि प्रेम हि/

 

प्रेम प्रकाश व प्रेम विकास व,प्रेम हि दीपक प्रेम हि ज्योति व,

प्रेम हि बीज व प्रेम हि वृक्ष व, प्रेम हि पुष्प व प्रेम हि पर्ण व,

ज्ञान निदान व ध्यान भि प्रेम हि,प्रेम हि लाड दुलार भि प्रेम हि,

प्रेम हि काव्य व प्रेम हि छंद व, प्रेम हि आदि अनंत भि प्रेम हि/

*********

जहं चाह न कोई प्रेम नहीं, नहि प्रभु धाम तहाँ,

जहं प्रीत न कोई रीत नहीं,नहि प्रभु श्याम वहाँ,

ज्ञान नही कोई मान जहाँ, नहि प्रभु राम वहाँ,

जहाँ सत्य सनातन रुप न हो,नहि शिव नाम वहाँ/

Views: 378

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 11, 2012 at 4:57am

आदरणीय अशोक भाई जी, सादर अभिवादन !

प्रेम की बहुत ही सुन्दर व्याख्या पढ़ मन तृप्त हुआ!
Comment by Ashok Kumar Raktale on December 1, 2012 at 8:14pm

आदरणीय प्रदीप जी लड़ीवाला जी संदीप जी और आदरेया शालिनी जी आप सभी का हार्दिक आभार.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 1, 2012 at 4:03pm

आदरणीय अशोक सर जी सादर प्रणाम
सुन्दर छंद रचे हैं आपने प्रेम से भरे हुए बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 1, 2012 at 3:54pm

जहं चाह न कोई प्रेम नहीं, नहि प्रभु धाम तहाँ,

जहं प्रीत न कोई रीत नहीं,नहि प्रभु श्याम वहाँ,

ज्ञान नही कोई मान जहाँ, नहि प्रभु राम वहाँ,

जहाँ सत्य सनातन रुप न हो,नहि शिव नाम वहाँ/

 

अति सुन्दर रक्ताले ये, सत्यम शिवम् सुन्दरम है,

देता बधाई तुमको यूँ,  प्रेम की ज्योति जो जगाई है ।

 

Comment by shalini kaushik on December 1, 2012 at 3:24pm

bahut sundar bhavabhivyakti .badhai

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 1, 2012 at 2:52pm

अति सुन्दर जग  प्रेम है मिल   करियो सब कोय 

संतन के गुण होत हैं क्रोध न करियो कोय 

बधाई सर जी, सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको नगर में गाँव खुला याद आ गयामानो स्वयं का भूला पता याद आ गया।१।*तम से घिरे थे लोग दिवस ढल गया…"
16 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"221    2121    1221    212    किस को बताऊँ दोस्त  मैं…"
25 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"सुनते हैं उसको मेरा पता याद आ गया क्या फिर से कोई काम नया याद आ गया जो कुछ भी मेरे साथ हुआ याद ही…"
7 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।प्रस्तुत…See More
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"सूरज के बिम्ब को लेकर क्या ही सुलझी हुई गजल प्रस्तुत हुई है, आदरणीय मिथिलेश भाईजी. वाह वाह वाह…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

कुर्सी जिसे भी सौंप दो बदलेगा कुछ नहीं-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

जोगी सी अब न शेष हैं जोगी की फितरतेंउसमें रमी हैं आज भी कामी की फितरते।१।*कुर्सी जिसे भी सौंप दो…See More
yesterday
Vikas is now a member of Open Books Online
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
Monday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service