For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 शिकवों के दौर थे काफी,

 साथ ना तेरे आने को,

 पर एक वज़ह जिंदा थी बाकी,

 तेरा साथ निभाने को।

 

 अल्फाज़ों का शोर बहुत था,

 तुझे दगा बताने को।

 एक मेरी ख़ामोशी थी,

 सब ख़ामोश कराने को।

 

 हर गुंजाइश फीकी थी,

 प्रीत परवाज़ चढ़ाने को।

 एक मेरी उम्मीद थी बाकी,

 बाकी बचा बचाने को।

 

 तू पूरब, मैं पश्चिम हूं,

 ना मिलने का छोर है कोई,

 पर तेरा पता है काफी,

 मेरी राह बताने को।

 

 उगते सूरज की लाली तू,

 अंदाज़े आग दिखाने को,

 मैं पश्चिम की लाली हूं,

 सब समेट छिप जाने को।

 "मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 436

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on April 18, 2023 at 8:56pm

प्रणाम  सर, मार्गदर्शन के लिए आभार।

Comment by Samar kabeer on April 18, 2023 at 8:05pm

मुहतरमा गीता जी आदाब, कविता का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

सबसे पहले कविता का शीर्षक दुरुस्त कर लें 

'एक वज़ह' इसमें 'वज़ह' ग़लत शब्द है सहीह शब्द है "वज्ह" ।

इसके इलावा उर्दू के कुछ शब्दों में आपने नुक़्ते लगाए हैं कुछ में नहीं जिनमें नुक़्ते नहीं लगे वो ये हैं:-

काफी--'काफ़ी'

जिंदा--'ज़िंदा'

  • बाकी--बाक़ी'
  • दगा--'दग़ा'
  • दूसरे बन्द में लफ़्ज़ शब्द का बहुवचन 'लफ़्ज़ों' या 'अल्फ़ाज़' होता है,अल्फ़ाज़ों नहीं,देखिएगा ।
Comment by Dr. Geeta Chaudhary on April 17, 2023 at 7:05pm

सादर प्रणाम! प्रोत्साहन हेतु आपका हार्दिक आभार।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on April 17, 2023 at 6:05pm

इस सुन्दर-सी भावपूर्ण रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया गीता चौधरी जी | 

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on April 16, 2023 at 6:05am

हार्दिक आभार सर आपका..

Comment by अटल मुरादाबादी on April 15, 2023 at 8:31pm
बहुत भावपूर्ण सृजन
Comment by Dr. Geeta Chaudhary on March 31, 2023 at 2:15pm

आभार सर आपका...

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 31, 2023 at 12:05pm

अच्छी प्रवाहमयी कविता के लिए बधाई आदरणीया...

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on March 22, 2023 at 10:33pm

बहुत आभार सर!

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 22, 2023 at 9:53pm

आ. गीता जी, सादर अभिवादन। सुंदर भावपूर्ण रचना हुई है। हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी । नववर्ष की…"
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।नववर्ष की हार्दिक बधाई…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लेखन के विपरित वातावरण में इतना और ऐसा ही लिख सका।…"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"उड़ने की चाह आदत भी बन जाती है।और जिन्हें उड़ना आता हो,उनके बारे में कहना ही क्या? पालो, खुद में…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service