For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यह मन हो मानो घर तुम्हारा अपना

पार क्षितिज से जैसे कोई रहस्य-बिंबित

स्वरातीत गीत-सी याद तुम्हारी चली आई

थीं चाहे कितनी भी हम में अपूर्णताएँ अपार

विश्वास की आढ़ में था ठहरा सनातन प्यार

हर शनिवार की शाम वह हमारा मिलन

देखते ही मुझको तुम नव-वसंत-सी पल्लवित

उल्लसित, रोमांचित, क्या पा लेती थी उस पल ?

झेंप जाती, स्नेह छुपा न पातीं शर्माती मुंदी पलकें

हँस-हँस देते थे हम दोनो, हवा हो जाती थी हलकी

फिर क्यूँ वायु-मंडल को भेदती चली आती थी नक्षत्रों से

कभी किसी अभिशप्त दिन वह तुमको खो देने की चिंता

पीड़ा बन फड़फड़ाती थी रात, सारी रात, सुबह के होने तक

घायल पक्षी-सी टकराती रात, दीवार से दीवार कोने से कोने

और मैं साक्षी उसके क्रंदन का, देता भी उसको दिलासा कैसे 

कितना दुखता था मन मेरे अकेले में, तुमसे कह न सका

हाँ, गलत था मैं कि कहा मैंने तुमको, "न उदास हो तुम"

गलत थी तुम भी कि कहा मुझको भूल जाने को तुमको

कि कभी करी हुई बातें उस अंतिम शनिवार की शाम की

भुलाने की परिधि में थी हीं कहाँ, वेदना स्वीकारने की थी

उस अंतिम शनिवार का शून्यत्व पेड़-पक्षी को पता था मानो

हाथ में मेरे था चाँदी का ताजमहल, तुम स्वीकार कर न सकी

"नहीं, नहीं, यह मैं न लूँगी, रुलाएगा यह मुद्दतों तक मुझको"

लौटा लाया वह चाँदी का ताजमहल, सुबकता रहा है मेरे संग

साल पर साल बीतते, चाँदी भी उसकी है अब काली हो चली

धुएँ की अंगारी परतों में धंसा, अब डरता है मेरा खंडित मन

आन्तरिक विरोध, बढ़ती दुविधा, या कभी असीम विशमता

और कभी सब शांत, अनुताप नहीं, आक्रोश नहीं, कुछ नहीं

मेरी मानसिक प्रष्ठभूमि भी है केवल साधारण असाधारणता

कभी आओ संयोगवश तो देख लेना वह " काला ताजमहल "

.... वह मेरा अंतिम प्रेम-पत्र 

              -----------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 335

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 13, 2022 at 5:12pm

आ. भाई विजय निकोर जी, सादर अभिवादन। उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by vijay nikore on November 13, 2022 at 11:34am

प्रिय भाई समर कबीर जी:, मेरी रचना को मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार।

Comment by vijay nikore on November 13, 2022 at 11:33am

प्रिय मित्र सुशील सरना जी:, मेरी रचना को मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार।

Comment by Samar kabeer on November 5, 2022 at 6:56pm

प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब, हमेशा की तरह एक अच्छी रचना से मंच को नवाज़ा है आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें I 

Comment by Sushil Sarna on November 3, 2022 at 5:06pm
वाह आदरणीय विजय निकोर जी पृष्ठ लोक पर भावों की मन्दाकिनी उतारना कोई आपकी लेखनी से सीखे । अति उत्तम प्रस्तुति सर । हार्दिक बधाई सर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
1 minute ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
10 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
19 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
13 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service