For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - एक अरसे से जमीं से लापता है इन्किलाब

बह्र - फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन

एक अरसे से जमीं से लापता है इन्किलाब
कोई बतलाये कहाँ गायब हुआ है इन्किलाब

एक वो भी वक्त था तनकर चला करता था वो
एक ये भी वक्त आया है छुपा है इन्किलाब

खूबसूरत आज दुनिया बन गई है कत्लगाह
जालिमों से मिल गया है अब सुना है इन्किलाब

है अगर जिन्दा तो आता क्यों नहीं वो सामने
ऐसा लगता है कि शायद मर चुका है इन्किलाब

लोग कहते हैं गलतफहमी है ऐसा है नहीं
आज भी बहुतों के सीने में है जिन्दा इन्किलाब

मौलिक अप्रकाशित

Views: 1835

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on June 6, 2020 at 10:25pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी। सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर टिप्पणी एवं उत्साह वर्धन के लिए हृदय से आभार

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on June 6, 2020 at 10:22pm

आदर्णीय तेजवीर सिंह जी नमस्कार। ग़ज़ल पर टिप्पणी करने एवं उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on June 6, 2020 at 10:19pm

आदरणीय समर कबीर साहब ग़ज़ल पर टिप्पणी करने, उत्साह बढ़ाने एवं सुझाव के लिए तहे दिल से शुक्रिया। मैं हिन्दी भाषी हूं। हिन्दी वर्णमाला में आज भी नुक्ता वाले अक्षर नहीं हैं। मैंने आम बोलचाल में आने वाले शब्दों का इस्तेमाल किया है। उर्दू के हिसाब से नुक्ता लगाना चाहिए ये सच है। लेकिन यह भी सच है कि उर्दू में "ज" के लिए उच्चारण के अनुसार कई अक्षर हैं। क्या "ज" के नीचे एक नुक्ता लगाने से सभी "ज" को रिप्रेजेंट किया जा सकता है या हिन्दी में उतने ही "ज" के अक्षर बनाने पड़ेंगे जितने उर्दू में हैं। इस हिसाब से पहले उर्दू सीखें फिर शायरी की जाये।

Comment by Dayaram Methani on June 6, 2020 at 9:17pm

इन्किलाब की याद दिलाने के लिए राम अवध जी बहुत बहुत धन्यवाद एवं बधाई।

Comment by Dimple Sharma on June 6, 2020 at 2:42pm

आदरणीय राम अवध जी नमस्कार, बहुत अच्छी ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार करें।

Comment by नाथ सोनांचली on June 5, 2020 at 1:43pm

आद0 राम अवध जी सादर अभिवादन। अच्छी ग़ज़ल कही गया आपने। बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by TEJ VEER SINGH on June 5, 2020 at 12:36pm

हार्दिक बधाई आदरणीय  राम अवध जी। बेहतरीन गज़ल।

खूबसूरत आज दुनिया बन गई है कत्लगाह
जालिमों से मिल गया है अब सुना है इन्किलाब

Comment by Samar kabeer on June 5, 2020 at 12:30pm

जनाब राम अवध जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

उर्दू शब्दों में नुक़्ते लगा लें तो बहतर होगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मतभेद
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
Monday
Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday
Sushil Sarna posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
Dharmendra Kumar Yadav posted a blog post

ममता का मर्म

माँ के आँचल में छुप जातेहम सुनकर डाँट कभी जिनकी।नव उमंग भर जाती मन मेंचुपके से उनकी वह थपकी । उस पल…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Nov 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service