For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छुड़ाना है कभी मुमकिन बशर का ग़म से दामन क्या ? (७० )

(1222 1222 1222 1222 )
छुड़ाना है कभी मुमकिन बशर का ग़म से दामन क्या ?
ख़िज़ाँ के दौर से अब तक बचा है कोई गुलशन क्या ?
**
कभी आएगा वो दिन जब हमें मिलकर सिखाएंगे
मुहब्बत और बशरीयत यहाँ शैख़-ओ-बरहमन क्या ?
**
क़फ़स में हो अगर मैना तभी क़ीमत है कुछ उसकी
बिना इस रूह के आख़िर करेगा ख़ाना-ए-तन* क्या ?(*शरीर का भाग )
**
निग़ाह-ए-शौक़ का दीदार करने की तमन्ना है
उठेगी या रहेगी बंद ये आँखों की चिलमन क्या ?
**
अगर बेकार हैं तो काम ढूंढे या करें बेगार
कभी बैठे बिठाये भी मिली दौलत है मद्फ़न* क्या ? (*गाड़ी हुई /दफ़्न )
**
सियासतदाँ करे दावे बहुत तक़रीर में लेकिन
कटाने को मगर होता कोई तैयार गर्दन क्या ?
**
किसी भी दर्द को शायद कभी हम भूल भी जाएँ
मगर मुमकिन किसी की भूलना भोली सी चितवन क्या ?
**
समझ में क्यों नहीं आता उन्हें जो बैठे धरने पर
कि कोरोना से अब भी है बड़ा इन्सां का दुश्मन क्या ?
**
मुहब्बत से 'तुरंत' अपनी सभी को बात समझाएं
किसी पर फ़ैसले को थोपना अच्छा है ज़बरन क्या ?
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 678

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 3, 2020 at 2:00pm

स्नेहिल सराहना के लिए हार्दिक आभार भाई Ram Ashery जी , सादर नमन 

  

Comment by Ram Ashery on April 3, 2020 at 1:48pm

अति सुंदर रचना के लिए आपको बहुत बहित बधाई स्वीकार हो 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 20, 2020 at 9:13am

जी, आदरणीय Samar kabeer साहेब , यह एक छूट ही है , अधिकांश छूटें अब नियमों का रूप ले चुकी हैं , सभी शाइर ये छूटें लेने का लोभ संवरण नहीं कर पाते | सादर नमन | 

Comment by Samar kabeer on March 19, 2020 at 5:42pm

// क्या मिसरे के अंत में एक साकिन का लाभ लेने के लिए कुछ बहर निर्धारित हैं ?//

ऐसा नहीं है, मिसरे के अंत में एक साकिन लेने का अरूज़ में कोई नियम नहीं है,ये मात्र छूट है जिसे लोग इस्तेमाल कर लेते हैं,लेकिन इसे अच्छा नहीं समझा जाता है,ख़ास कर इस बह्र में तो इसकी छूट लेना किसी तरह भी उचित नहीं होता ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 19, 2020 at 9:02am

आदरणीय Samar kabeer साहेब , आपकी हौसला आफजाई के लिए दिल से शुक्रिया |  क्या मिसरे के अंत में एक साकिन का लाभ लेने के लिए कुछ बहर निर्धारित हैं ?  मद्फ़न का अर्थ मैंने सिर्फ क़ाफ़िया मिलाने के लिए गाड़ा हुआ लिया है | मद्दाह की लुग़त में यही दिया हुआ है ,जैसा कि आपने बताया ये लुग़त भरोसेमंद नहीं है ,अच्छा हुआ आपने अर्थ स्पष्ट कर दिया | यह शेर हटाया जा सकता है | 

Comment by Samar kabeer on March 19, 2020 at 7:12am

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।


'अगर बेकार हैं तो काम ढूंढे या करें बेगार 
कभी बैठे बिठाये भी मिली दौलत है मद्फ़न* क्या'

आपकी जानकारी के लिए बता रहा हूँ कि इस बह्र में मिसरे के अंत में एक साकिन लेना उचित नहीं,दूसरी बात सानी मिसरे में "मदफ़न" का अर्थ है दफ़्न होने की जगह,वो जगह जहाँ मुर्दा दफ़्न किया जाए,क़ब्र,गौर, मज़ार,

यहाँ शब्द "मदफ़ून" की ज़रूरत है,जिसका अर्थ है, गाड़ा हुआ,पौशीद:,मख़फ़ी,जो यहाँ ले नहीं सकते ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

"मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२*****पसरने न दो इस खड़ी बेबसी कोसहज मार देगी हँसी जिन्दगी को।।*नया दौर जिसमें नया ही…See More
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर

1222-1222-1222-1222जो आई शब, जरा सी देर को ही क्या गया सूरज।अंधेरे भी मुनादी कर रहें घबरा गया…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"जय हो.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या बात है, आदरणीय अशोक भाईजी, क्या बात है !!  मैं अभी समयाभाव के कारण इतना ही कह पा रहा हूँ.…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियों पर विद्वद्जनों ने अपनी बातें रखी हैं उनका संज्ञान लीजिएगा.…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया.  मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service