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Neeraj Neer's Blog – August 2015 Archive (3)

कोण तलाशते लोग

तुम गोलाई में तलाशते हो कोण

सीधी सरल रेखा को बदल देते हो

त्रिकोण में

हर बात में तुम तलाशते हो

अपना ही एक कोण

तुम्हें सुविधा होती है

एक कोण पकड़कर

अपनी बात कहने में

बिन कोण के तुम

भीड़ के भंवर में

उतरना नहीं चाहते

तुम्हें या तो तैरना नहीं आता

या तुम आलसी हो

स्वार्थी और सुविधा भोगी भी

तुम्हें सत्य और झूठ से भी मतलब नहीं है

इस इस देश में गढ़ डाले है

तुमने हजारो लाखों कोण

हर कोण से तुम दागते हो तीर

ह्रदय को…

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Added by Neeraj Neer on August 29, 2015 at 11:14am — 12 Comments

लड़कियां और उड़हूल के फूल : नीरज कुमार नीर

लड़कियाँ होती अगर
उड़हूल के फूलों की तरह
और तोड़ ली जाती
बिन खिले
अधखिले
खिल जाती फिर भी
समय के साथ
पर लड़कियाँ तो होती हैं
गुलाब की तरह


नीरज कुमार नीर /
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Neeraj Neer on August 2, 2015 at 11:15am — 13 Comments

बस तुम नहीं आती

खोल रखे है मैंने

खिड़कियाँ और सभी दरवाजे

भीतर आते हैं

धूप , चाँदनी ,

निशांत समीर ,

दोपहर के गरम थपेड़े ,

पूस की  शीत लहर ,

बरखा बूंदे

तमस, प्रकाश

पुष्प सुवास, उमसाती गँधाती अपराह्न की हवा

और सभी कुछ

अपनी मर्जी से

और अक्सर उतर आता है

खाली आकाश भी

बस तुम नहीं आती

कितने बरस बीत गए

पर तुम नहीं आती

खोल रखे होंगे

तुमने भी शायद

खिड़कियाँ और दरवाजे

..... नीरज कुमार…

Continue

Added by Neeraj Neer on August 2, 2015 at 8:59am — 12 Comments

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