सागर , सरिता ,
निर्झर , मरू
कलरव करते विहग
सुन्दर फूल , गिरि , तरु
अरुणाई उषा की
रजनी से मिलन शशि का
जल, वर्षा , इन्द्रधनुष
कोटि जीव , वीर पुरुष
सब कितना मंजुल जग में
प्रकृति का रूप अनूप
लेकिन
नारी, तुम हो जगत में
प्रकृति का सबसे सुन्दर रूप.
......मौलिक एवं अप्रकाशित ....
Comment
चेतावनी ? अरे नहीं जी !
यह मेरे लिए भी जानकारी है. तथ्य को साझा करने के लिए हार्दिक धन्यवाद.
शुभ-शुभ
आदरणीय सौरभ जी आपकी शुभकामना के लिए सादर आभार :) लेकिन क्या आपको ऐसा नहीं लगता ..
नारी, तुम हो जगत में
प्रकृति का सबसे सुन्दर रूप........ :D , जीवन के सफ़र में आपकी वरिष्ठता इस शुभकामना को चेतावनी में परिवर्तित कर रही है ...
ऐसा ?
शुभकामनाएँ, भाईजी.. .
आदरणीय जीतेंद्र गीत जी हार्दिक आभार ..
आदरणीय अरुण भाई हार्दिक आभार
आदरणीय माथुर जी हार्दिक आभार आपका
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आभार आपका .
बहुत आभार आदरणीय रविकर जी , संदीप जी , विजय मिश्र जी एवं राम शिरोमणि पाठक जी
बेहद सुंदर रचना, बधाई आदरणीय नीरज जी
आदरणीय नीरज भाई कितनी सुन्दर बात कही है आपने दिल खुश कर दिया इस एक पंक्ति ने...
नारी, तुम हो जगत में
प्रकृति का सबसे सुन्दर रूप.... वाह भाई वाह आपके इस विचार और सोच पर आपको दिल से बधाई.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online