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Akhand Gahmari's Blog – April 2015 Archive (2)

उल्‍टा श्रृंगार

लगाये आँख में लाली सुबह वो पास आती है

दिखा कर पाँव के कंगना खुशी से मुस्‍कुराती है।

कहे कैसी सजी हूँ मैं लगा कर मॉंग में काजल

तुम्‍हें मैं प्‍यार करती हूँ समझना मत मुझे पागल

लगाती नाक पर बिन्‍दियॉं अदा उसकी निराली है

जला कर दिन में वो दीपक कहे मुझसे दिवाली है

बजा कर हाथ की पायल मुझे हरदम सताती है

दिखा कर पाँव के कंगना खुशी से मुस्‍कुराती है।

लगाये आँख में लाली सुबह वो पास आती है



न पूछो बात तुम उसकी बड़ी सीधी बड़ी न्‍यारी …

Continue

Added by Akhand Gahmari on April 16, 2015 at 4:30pm — 2 Comments

तराना इक सुना देना

जनाजा जब उठे मेरा जरा तुम मुस्‍कुरा देना

दिये थे फूल जो तुमको जनाजे पे चढ़ा देना

गिराओ अश्‍क मत अपने बचा कर तुम इन्हें रख लो

चलो जब लाल जोड़े में इन्‍हें तब तुम बहा देना

वफा मेरीअगर तुमको कभी झूठी लगी हो तो

न आये चैन मर कर भी मुझे वो बद्दुआ देना

गलत खुद को समझना मत वफा मैं ही न कर पाया

न मुझ सा बेवफा कोई जमाने को बता देना

समझ लो प्यार में तुम से यही चाहत बची मेरी

कभी तुम…

Continue

Added by Akhand Gahmari on April 12, 2015 at 11:00am — 13 Comments

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