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अपने गॉंव पर एक गीत लिखने का प्रयास

बहर 1222   1222    1222   1222 छूट नियमानुसार लेने का प्रयास

कहानी आज गहमर की सुनो सबको सुनाते है
बना तस्‍वीर इक प्‍यारी सभी को हम दिखाते है

बकस बाबा का है मंदिर, लिये बस नाम जो आता ।
न मरता साँप का काटा, खुशी मन से वो घर जाता।
बचाने में गौ माता को, गई थी जान ही जिसकी ।
न उस बरसाल को भूले, करें पूजा सभी उसकी ।।
हमारे गाँव में गंगा, लगे मेला यहाँ हरदम ।
बने हैं घाट सब पक्के, न शहरो से दिखे कुछ कम।।
निराली होती छटा छठ की, सभी दीपक जलाते है
कहानी आज गहमर की,सुनो सबको सुनाते है
बना तस्‍वीर इक प्‍यारी, सभी को हम दिखाते है

बसा पन्‍द्रह सौ पैतिस में, जगह इक नाम था गहमर।
बसाया था इसे जिसने, हुए वो धाम देव अमर ।।
बना कर वो यहॉं मंदिर, बसाये मॉं कामाख्‍या को।
कहा होगा न दु:ख उसको, करे विश्‍वास माँ में जो।।
तभी से रोज पूजा हो, कभी खंडित न है होती। 
निराली मॉं की महिमा है, निराली उसकी है ज्‍योति।।
लगे नवरात में मेला, हजारो भक्‍त आते है
कहानी आज गहमर की, सुनो सबको सुनाते है
बना तस्‍वीर इक प्‍यारी, सभी को हम दिखाते है



यहॉं अंग्रेज की कोठी, जिसे मैगर जलाये थे।
नदी में जान अपनी कूद,तब गोरे बचाये थे।।
बयालिस में लिया लोहा, यहाँ के वीर गोरो से ।
किये थे तीस दिन शासन, बने वो अपने नियमो पे।।
बचाने मान भारत की,लुटा ने जान सरदह पे।
खडे़ है आज सीमा पे,हजारो वीर गहमर के।।
हिफाजत हम करे कैसे,वतन की वो सिखाते है
कहानी आज गहमर की, सुनो सबको सुनाते है
बना तस्‍वीर इक प्‍यारी, सभी को हम दिखाते है

जनक जिसको कहा जाता है, जासूसी किताबो का ।
वही गोपाल गहमर के, न जग में दूजा है उन सा।।
बता कर हाल सूखे का, रुलाये जो जवाहर को।
जरा उनका बता दो नाम, गहमर गाव के थे वो।।
न भोजपुरी लिखे केवल, लिखे हिन्‍दी बड़ी न्‍यारी।
हजारो गीत भोला के जो, कानो को लगे प्‍यारी।।
मुझे मालूम है जितना सभी तुम को बताते है
कहानी आज गहमर की सुनो सबको सुनाते है
बना तस्‍वीर इक प्‍यारी सभी को हम दिखाते है


न देखे पाँच मुॅख वाले कही, हनुमान जी को तुम ।
विराजे वो यहाँ लेकिन, हुआ मंदिर नदी में गुम ।।
कुटी इक सिद्व बाबा की, यहा गंगा किनारे है।
यही से आगे बढ़ कर, ताड़का को राम मारे है।।
कलम के साथ तलवारे , चलाने की कला जाने
नगर है मंदिरो का ये, सभी देवो को हम माने
अतिथि को देवता कह, प्‍यार से उनको बुलाते है
कहानी आज गहमर की, सुनो सबको सुनाते है
बना तस्‍वीर इक प्‍यारी, सभी को हम दिखाते है

मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी

अपने गॉंव पर गीत लिखने का एक प्रयास





 

 

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Comment

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Comment by shree suneel on August 30, 2015 at 10:07am
आदरणीय अखंड गहमरी जी , बधाई आपको इस रचना के लिए जिसमें गहमर के इतिहास, वर्तमान और विशेषताओं को सुन्दर ढंग से आपने व्यक्त किया है. गहमर को मैं जानता था लेकिन उसे विशेषताओं के साथ जानने का अवसर इस रचना ने दिया. धन्यवाद इसके लिए. पुनः बधाई आदरणीय.
Comment by Akhand Gahmari on August 26, 2015 at 3:28pm

आपको हार्दिक नमन आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 26, 2015 at 12:43pm

आदरणीय अखंड जी, आपकी रचनाओं में सदैव गाँव की माटी की सोंधी सोंधी खुशबू होती है. आपने तो इस गीत में गहमर के दर्शन ही करा दिए. इस प्रस्तुति पर आपको बहुत बहुत बधाई 

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