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AVINASH S BAGDE's Blog – July 2012 Archive (5)

कारगिल के शहीदों को सलाम...

हाइकु...

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दर्द हासिल

तनाव ही तनाव

क्यूँ कारगिल?

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टीस दिल में

खोये कितने लोग

कारगिल में.

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युद्ध की भाषा

शांति…
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Added by AVINASH S BAGDE on July 26, 2012 at 4:00pm — 11 Comments

कटाक्ष.....

कटाक्ष
हेलमेट-गुटखा संवाद....अध्याय एक प्रारंभ!!!!!!!!
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सुबह-सुबह हेलमेट और गुटखे की पान की टपरी पे मुलाकात हो गई.

'कैसे हो हेलमेट भाई?'..इधर-उधर आशंका भरी निगाहों से देखते हुये गुटखे ने अपना नकाब सरकते हुये पूछा.
'ठीक  हूँ ' फुरसतिया अंदाज़ में मूंछों पर ताव देते हुये हेलमेट गरियाया .
'यार हमारे तो वांदे है आजकल..फिर से इन तथाकथित समाज के पैरोकारगणों…
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Added by AVINASH S BAGDE on July 24, 2012 at 1:01pm — 1 Comment

खिलौना........लघुकथा.

रेंजर साहब की पत्नी आगन में बैठकर अपने तीन साल के बेटे को खिला रही थी.सामने के पेड़ पर एक बंदरिया अपने छोटे से बच्चे को छाती से  चिपकाए इधर-उधर कूद-फांद रही थी.बेटे की नज़र उस बंदरिया और उसके बच्चे पर पड़ी.वाह माँ से जिद करने लगा कि उसे खेलने के लिये बंदर का बच्चा चाहिए. माँ ने पिता के आने के नाम पर बेटे को बहलाए रखा.लंच पर रेंजर साहब आये.आते ही पत्नी ने फ़रमाया :
'मुन्ने को सामने के पेड़ पर रहने वाली बंदरिया का बच्चा खेलने के लिये चाहिए".
"इतनी सी बात…
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Added by AVINASH S BAGDE on July 21, 2012 at 1:00pm — 12 Comments

हाइकु.

 
हाइकु.
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पाली बेशक…
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Added by AVINASH S BAGDE on July 6, 2012 at 8:40pm — 5 Comments

कटाक्ष ....

आल इज  वेल इन बोर-वेल......!!!!
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फिर बोर-वेल ने सेना और इलेक्ट्रोनिक मिडिया को काम पे लगा दिया.
इसके  इजाद करने वाले ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसके बोर-वेल को प्रसिद्धि की ऐसी  खुराक नसीब होगी.
पहले भी सरकारी दफ्तरों की कृपा से बोर-वेल ने काफी नाम कमाया है.धरती की छाती पर जितने बोर-वेल नहीं गड़े होंगे उससे कई गुण ज्यादा तो पेपरों की शान बढ़ा रहें है.
इससे जनता को पानी मिला हो या…
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Added by AVINASH S BAGDE on July 1, 2012 at 3:30pm — 13 Comments

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