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Mahesh Jee's Blog (7)

"मजदूर"(१ मई मजदूर दिवस पर विशेष)

देह के चमड़ी धुप मे जलावेला,

खून के पसीना बनाके बहावेला,

रुखा सूखा खाके पेट के आग बुझावेला,

सुते खातीर धरती के बिछवना,

अकाश के ओढ़ना बनावेला,

लोग उनका सम्मान मे,

मजदूर दिवस मनावेला ।



सूई से लेके जहाज ले,

सब कुछ मजदूर बनावेला,

ओकरा बादो उनकर नाम,

कबो सामने ना आवेला,

सृजन करीहे मजदूर,

अफसर काटेले फिता,

फिर भी मजदूर आपन,

सेवा हम सब के देता।



सेठ जी जबरन काम करावेले,

मजदूरी मांगे पर डंडा देखावेले,

बंधुवा… Continue

Added by Mahesh Jee on April 30, 2010 at 10:00pm — 5 Comments

अइसन होले नेता

आईल जब चुनाव त नेता जी दिहले दिखाई ।

हाथ जोड़ के सबसे कहले वोट हमरे के दिहजा भाई।। दिन मे हाथ जोड़ पाव पड़ सबसे वोट मंगीहे भाई। राती मे घरे घरे नोट , दारु के गंगा दिहे बहाई।।

करिहे वादा कि बिजली हैन्डपम्प घरे घरे देब लगवाई।

सड़क नाली स्कूल तलाब नहर सब कुछ देब बनवाई।।

आप सब मिल के हमके सांसद दिही बनाई।

सब कर मनरेगा मे काम देब लगवाई।।

अगर बन जाइब मंत्री त अफसर लोग के दिमाग देब ठिक कराई।

आप सब के अन्नपुर्णा योजना के कार्ड घरे घरे देब पहुचाई।।

दारु गुन्डागर्दी के… Continue

Added by Mahesh Jee on April 17, 2010 at 11:41pm — 4 Comments

जाने एक पहाड़ी को

आप अब तक ये जानते है कि किसी ढलान पर कार को न्यूट्रल मे कर दे तो वह निचे की तरफ लुढकने लगती है। लेकिन फ्लोरिडा के लेक वेल्स का स्पूक हिल इलाका अपने आप मे एक अजुबा है जहा पर फिजिक्स के नियमो के विपरीत काम होता हैं। ग्रेविटेशनल ला के हिसाब से कोई भी वस्तु ऊपर से नीचे की तरफ आती है। पर स्पूक हिल पे वस्तु नीचे से ऊपर कि तरफ जाती हैं। यहां आकर लोग पहाड़ी के निचे अपनी कार खड़ी कर देते हैँ। कुछ ही पल मे कार अपने आप पहाड़ी पर चढ़ने लगती हैँ। यहा ऐसा कुछ भी नही दिखता जिससे पता चले कि कोई अज्ञात ताकत कारो को… Continue

Added by Mahesh Jee on April 15, 2010 at 3:32pm — 4 Comments

आँसू

केहू के प्यार के एहसास बा आँसू। केहू के खुशी के अरमान बा आँसू । केहू के जिनगी के फरमान बा आँसू। केहू के याद के अन्जाम बा आँसू। केहू के आँख के अल्फाज बा आँसू। केहू के जुदाई के दर्द जान बा आँसू। केहू के बेवफाई के इल्जाम बा आँसू। केहू के बुझल दिल के जुबान बा आँसू। केहू के मौत के पैगाम बा आँसू। केहू के विदाई के रस्म रिवाज बा आँसू। केहू से मिलल प्यार के दर्द जवाब बा आँसू। जी के जिनगी के हिसाब बा आँसू।

Added by Mahesh Jee on April 12, 2010 at 11:53pm — 1 Comment

मजबुर कानून

सरकार भइल हिजड़ा,नेता भइले दलाल।

रोअता कानून देश भइले बेहाल।।

ऊपर से लेके निचे तक सबकर बा आपस मे मेल। दलाली देला के बल पर कुछु करत रह खेल।। सरकार बनावे खातिर नक्सलियनो से हो जाई मेल।

भलही रोजे नक्सली जनता के निकाले तेल।। नक्सलियन के गोली से 76 गो जवान के साँस रुठ गईल।

तवनो पर कहेले चिदंबरम कि सुरक्षा बल से हि भूल हो गईल।।

दलाली खइहे ताबुत के, कांड करीहे हवाला।

तबो इ कहिये कि हम हई कानून के रखवाला।। विदेशी त विदेशी जब देशीये करता जनता के हलाल।

कहा जायी जनता आ… Continue

Added by Mahesh Jee on April 7, 2010 at 10:53pm — 3 Comments

पहल

परिँदे बोलते नहीँ हैँ, लेकिन महसूस तो करते ही हैँ। इन्सान कुछ कहना चाहे तो उसके पास जुबान है किन्तु इन के पास नहीँ हैँ।इस गर्मी मे इन पंक्षीयो का प्यास से बुरा हाल हो रहा हैं। हमने तो धीरे-धीरे इनका प्राकृतिक जल स्रोत नष्ट कर दिया। ये बेचारे प्यास से मर रहे हैँ। आइये हम और आप मिलकर इनके लिये अपने छत पे, बालकनी मे, अहाते मे इनके लिए दाना-पानी रखे।इसमे अपना क्या जाता है। कवी जी ने सही लिखा है-
राम जी के चिरइ, राम जी के खेत।
खा ले चिरइ भर-भर पेट।।

Added by Mahesh Jee on March 29, 2010 at 10:02pm — 5 Comments

जिन्दगी की दास्तान

अपने इच्छाओँ का त्याग करके,

अपने आप को संभाला हमनेँ।

फिर भी शान्ति नही रहती है,

अपने आप से पूछा हमनेँ।

क्यो होती है किसी की शान्ति मे विघ्न?

क्या ये उचित है जो कर रहा हू मैं?

बेचैन हो उठता हूँ पागल सा लक्षण,

कराह रहा होता हू,

अकेले मे जब होता हू…

Continue

Added by Mahesh Jee on March 28, 2010 at 11:00pm — 5 Comments

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