For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Atul kushwah's Blog (24)

समझ ये क्यूँ नहीं आती..

है क्यूँ खामोश दरिया ये जो कल तक शोर करता था,
उदासी झील की शायद इसे देखी नहीं जाती.
तेरी खामोशियों के लफ्ज जब कानों में पड़ते हैं.
ये सांसें रोक लूं पर धडकनें रोकी नहीं जातीं.
अँधेरी रात से मिलना उजाले की भी ख्वाहिश है,
मगर किस्मत यहाँ ऐसी कभी शय ही नहीं लाती.
तमन्ना रह गई हर बार उसके पास जाने की,
कभी हम खुद नहीं जाते कभी वो ही नहीं आती.
मेरा जब नाम उसके लब को छूता है तो मत पूछो,
धडकता…
Continue

Added by atul kushwah on January 15, 2014 at 8:30pm — 9 Comments

''अक्सर''

समृद्ध अतीत के माथे पर
अक्सर खिंच जाती हैं लकीरें

चिंतित भविष्य की

फैसलों की फर्श पर

क्यूं अक्सर

बिखर जाते हैं

बदलाव के मोती

खुशियों के आंगन में

टंगे मुस्कुराते गुब्बारों

पर अक्सर कोई चलाता है

गमों की गोलियां

बेवक्त पर काम आने वाला वक्त

अक्सर बदल जाता है आदमी की तरह

जब मौज मौसम की लेने निकलें तो

थम जाती हैं सुहानी हवाएं अक्सर

समझ आती है जब तलक…
Continue

Added by atul kushwah on December 16, 2013 at 10:30pm — 9 Comments

मेरी मां ने मुझे रोते हुए हंसना सिखाया है

मेरी दादी बताती थी कि ये सब मोह माया है,

कोई परियों की रानी है ये नानी ने बताया है।।



शिवपुरीवासियों दुगनी मोहब्बत से सुनो मुझको,

कटे हैं पंख पंछी के ये अब तक उड न पाया है।।



नहीं जब मानता था बात थप्पड मार देती थी,

मेरी मां ने मुझे रोते हुए हंसना सिखाया है।।



घमंडी मत बनो दौलत का पीछा मत करो इतना

जो अपने पास होता है वो भी सब कुछ पराया…

Continue

Added by atul kushwah on December 14, 2013 at 9:30pm — 9 Comments

तुम्हारी मुस्कुराहट को गजल हमने बनाया है

मोहब्बत में तुम्हारा ही लबों पर नाम आया है,

भ्रमर की गुनगुनाहट का कली पर रंग आया है।

यहां हर बज्म तेरे नाम से गुलजार होती है,

तुम्हारी मुस्कुराहट को गजल हमने बनाया है।।

---------------------------------

दिवाली लब से बोलो तो अली का नाम आता है

जनम भर सिर झुकाने का सलीका काम आता है,

मुल्क में धर्म को लेकर उपद्रव पालने वालों

लिखो और ​फिर पढो रमजान में भी राम आता है।।

---------------------------------------

कली जब फूल बन जाए, भ्रमर तब…

Continue

Added by atul kushwah on December 14, 2013 at 9:30pm — 6 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service