For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अरुण कुमार निगम's Blog (30)

गीत : चन्दन हमें बबूल लगे..................

तुमको जो प्रतिकूल लगे हैं

वे हमको अनुकूल लगे

और तुम्हें अनुकूल लगे जो

वे हमको प्रतिकूल लगे...............

हम यायावर,जान रहे हैं…

Continue

Added by अरुण कुमार निगम on May 2, 2013 at 10:27am — 41 Comments

गल्तियों को मान लेना चाहिये

ज्ञानियों से ज्ञान लेना चाहिये

गल्तियों को मान लेना चाहिये |

स्वस्थ रहने का सरल सिद्धांत है

पेय - जल को छान लेना चाहिये |

रास्ते सब खुद ब खुद मिल जायेंगे

लक्ष्य मन में ठान लेना चाहिये |

इस जहां में दोस्तों की शक्ल को

दूर से पहचान लेना चाहिये |

धन न वैभव सुख कभी दे पाएंगे

प्रेम का वरदान लेना चाहिये |

दिल कहे कि पात्रता रखता है तू

तब कोई सम्मान लेना चाहिये |

ज़िंदगी का अर्थ क्या है ऐ अरुण

अनुभवों से जान लेना चाहिये…

Continue

Added by अरुण कुमार निगम on February 3, 2013 at 11:00am — 9 Comments

दोहे – कालजयी साहित्य

मान और सम्मान की,नहीं कलम को भूख

महक  मिटे  ना पुष्प  की , चाहे जाये सूख |

 

खानपान  जीवित  रखे , अधर रचाये पान

जहाँ  डूब कान्हा मिले , ढूँढो वह रस खान |…

Continue

Added by अरुण कुमार निगम on September 11, 2012 at 12:00am — 14 Comments

मन को जरा टटोलो जी .......

स्वर में अमृत घोलो जी

फिर अधरों को खोलो जी |



नहीं खर्च कुछ होने का

मीठा – मीठा बोलो जी |.



देने वाला कैसे दे ?

हाथ मलिन…

Continue

Added by अरुण कुमार निगम on September 3, 2012 at 9:30pm — 15 Comments

परम मित्र दिनेश रविकर के जन्म-दिन पर ......

" बधाई – कुण्डलिया "



ओ.बी.ओ.  के फलक पर ,  देखा  है संदेश

मना रहे हैं जन्म-दिन ,  गुप्ता चंद्र दिनेश

गुप्ता  चंद्र  दिनेश  ,  कहे जाते हैं रविकर…

Continue

Added by अरुण कुमार निगम on August 15, 2012 at 10:19am — 4 Comments

अधजल गगरी छलकत जाये प्राणप्रिये......

 

कैसे – कैसे मंजर आये प्राणप्रिये

अपने सारे हुये पराये प्राणप्रिये |



सच्चे की किस्मत में तम ही आया है

अब तो झूठा तमगे पाये प्राणप्रिये |



ज्ञान भरे घट जाने कितने दफ्न हुये

अधजल गगरी छलकत जाये प्राणप्रिये |



भूखे - प्यासे हंसों ने दम तोड़ दिया

अब कौआ ही मोती खाये प्राणप्रिये |



यहाँ राग - दीपक की बातें करता था

वहाँ राग – दरबारी गाये प्राणप्रिये |



सोने…

Continue

Added by अरुण कुमार निगम on August 5, 2012 at 10:31am — 12 Comments

रक्षा बंधन - स्मृतियाँ



राह तकती है तुम्हारी,

आज यह सूनी कलाई....

स्मृति बस स्मृति ही ,

शेष है सूने नयन में

बिम्ब दिखता है तुम्हारा,

आज मधु मंजुल सुमन में

यूँ लगा कि द्वार खुलते

ही मुझे दोगी दिखाई

राह तकती है तुम्हारी

आज यह सूनी कलाई.........................

आरती की थाल कर में

दीप आशा का जलाये

इस धरा पर कौन है जो

नेह की सरिता लुटाये

श्रावणी वर्षा हृदय में

आज मेरे है समाई

राह तकती है तुम्हारी

आज यह सूनी…

Continue

Added by अरुण कुमार निगम on August 2, 2012 at 1:18pm — 21 Comments

फिफ्टी-फिफ्टी हास्य गज़ल.................

कच्ची रोटी भी  प्रेमिका की भली लगती है

बीबी अच्छी भी खिलाये तो जली लगती है |



बीबी  हँस दे  तो कलेजा ही  दहल जाता है

प्रेयसी  रूठी  हुई  भी  तो  भली  लगती है |



नये - नये  में  बहु  कितनी  भली लगती है

फिर  ससुर - सास को वो बाहुबली लगती है |



कलि  अनार की  लगती  थी ब्याह से पहले

अब मैं कीड़ा हूँ  और वो छिपकली लगती है |



फिर  चुनी  जायेगी  दीवार में पहले की तरह

ये    मोहब्बत  सदा  अनारकली  लगती  है |



इस  शहर …

Continue

Added by अरुण कुमार निगम on June 26, 2012 at 9:14pm — 4 Comments

पर्यावरण



कविताओं में बाँचिये , शीतल मंद समीर

शब्दों में ही बह रहा , निर्मल निर्झर नीर

निर्मल निर्झर नीर,हरा वसुधा का आँचल…

Continue

Added by अरुण कुमार निगम on June 6, 2012 at 12:30am — 12 Comments

समय सँपेरा बीन बजाता छलता जाये......

समय सँपेरा बीन बजाता छलता जाये

नागिन जैसी उम्र संग ले चलता जाये.

तन्त्र -मंत्र के जाल सुनहले पग पग पर हैं

नख शिख पल पल मोम सरीखा गलता जाये.

रीझ न जाओ माया नगरी पर जगती…

Continue

Added by अरुण कुमार निगम on March 22, 2012 at 11:00pm — 6 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
18 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
26 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
29 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
56 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
23 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service