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ये माना चाल में धीमा रहा हूँ
मगर जीता वही कछुवा रहा हूँ ||

बुझाई प्यास कंकर डाल मैंने
तेरे बचपन का वो कौवा रहा हूँ ||

कभी बख्शी थी मेरी जान उसने
छुड़ाया शेर को,चूहा रहा हूँ ||

कुँये में शेर को फुसला के लाया
बचाई जान वो खरहा रहा हूँ ||

मेरे बचपन न फिर तू आ सकेगा
तेरी यादों से दिल बहला रहा हूँ ||

आदित्य नगर,दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्टमेंट,विजय नगर,जबलपुर (मध्यप्रदेश)

[ओबीओ लाइव तरही मुशायरा-37 में याद ही नहीं रहा था कि अधिकतम दो गजलें ही प्रेषित की जा सकती हैं,मुझे तीन का ही ध्यान रहा. गलती से तीसरी गज़ल भी पोस्ट कर बैठा था. गलती के लिए क्षमा चाहता हूँ, वही गज़ल ब्लॉग में पोस्ट कर रहा हूँ]

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Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2013 at 1:43pm

आदरणीय अरुणभाईजी, आपको इस अंदाज़ में कहते देख कर बहुत खुशी हो रही है. ग़ज़ब ग़ज़ब ग़ज़ब हुज़ूर !!!

Comment by वेदिका on August 8, 2013 at 4:46pm

कमाल है !!!

बचपन के सारे प्रेरक प्रसंगों को आपने बड़ी ही सहजता से दो दो पंक्तियों से शेअर में दर्शा दिया, और वह भी पूर्णता से...

कौतुक  भरी रचना है, क्या शब्द कहूँ, इतनी सुंदर और सजीव गज़ल, कभी यह गज़ल रचना भविष्य में पाठ्यक्रम में शामिल होगी तो आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत मनोहारी होगी ...असीम शुभकामनाये आदरणीय !!

Comment by D P Mathur on August 3, 2013 at 10:30am

 आदरणीय निगम सर , गजल की प्रत्येक पंक्ति में सकारात्मकता भरी पड़ी है आपको हार्दिक बधाई !

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 2, 2013 at 2:55pm

आदरणीय गुरुदेव श्री सादर नमस्कार, कभी सोचा नहीं था बचपन में पढ़ी कहानियों का सार एक ग़ज़ल के रूप में पढ़ने को भी कभी मिल पायेगा. आपने इतनी सुन्दरता से प्रस्तुत किया है कि क्या कहूँ कुछ कहते नहीं बनता. इस शानदार ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 2, 2013 at 2:15pm

उम्दा गजल प्रस्तुति के लिए बधाई श्री अरुण कुमार निगम जी 

Comment by विजय मिश्र on August 2, 2013 at 1:17pm
अरुणजी , निश्चित रूप से आपने छुटपन के यादों को स्मृति देने में हम सबकी सहायता कियी है और उन कथाओं का भी स्मरण कराया जो आज भी जीवन संदर्भ में प्रमाणिक हैं. अनेकानेक बधाई इस सुंदर सोच के लिए .
Comment by vandana on August 2, 2013 at 6:15am

बहुत बढ़िया सर सभी कहानियों का नायकत्व हासिल हो गया यहाँ ....विचार बहुत ही बढ़िया रहा 

Comment by Shyam Narain Verma on August 1, 2013 at 5:23pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………
Comment by Maheshwari Kaneri on August 1, 2013 at 1:05pm

बहुत बढ़िया ..अरुण कुमार जी..

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on August 1, 2013 at 12:52pm

बहुत खूब, आदरणीय अरुण जी !

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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