For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Abhay Kant Jha Deepraaj's Blog (29)

ग़ज़ल क्रमांक - २

ग़ज़ल / रचना पूर्व प्रकाशित होने के कारण एवं ओ बी ओ नियमों के अनुपालन के क्रम में प्रबंधन स्तर से हटाई जा रही है.

एडमिन

2014041807

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on April 18, 2015 at 2:00am — 8 Comments

ग़ज़ल क्रमांक - १

ग़ज़ल / रचना पूर्व प्रकाशित होने के कारण एवं ओ बी ओ नियमों के अनुपालन के क्रम में प्रबंधन स्तर से हटाई जा रही है.

एडमिन

2014041907

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on April 16, 2015 at 9:00pm — 2 Comments

GHAZAL - 28

                        ग़ज़ल



पूछिए मत किस तरह ?  घड़ियाँ  मुक़म्मिल कर रहा हूँ |

लोग  कहते  हैं  कि -  ज़िंदा  हूँ   मगर   मैं  मर  रहा  हूँ ||



तख्त    मेरा    बन    गया    ताबूत    अब    मेरे   लिए,

कब्र  तक जाने  का  ही  अब  फ़र्ज़  मैं  ये  कर  रहा   हूँ ||



रौशनी   भी  अब  तो   धुँधलापन   लिए   दिखने   लगी,

फिर भी, कल शायद सुबह हो,   इसलिए मैं लड़ रहा…
Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on March 13, 2011 at 12:30am — No Comments

GHAZAL - 27

                      ग़ज़ल



दोस्त   मेरी   दोस्ती   पर   नाज़   करके   देख   ले |

गीत  हूँ  मैं,  अपने  दिल  को  साज़  करके देख ले ||



मैं  तुझे  एक  शाह  का  रुतबा   दिला   दूँगा   कभी,

प्यार  से  तू  मुझको  अपना  ताज  करके  देख ले ||



गर  कभी  मैं  तल्ख़  था,   वो बदजुनूं था प्यार का,

दिल  नहीं  बदला  मेरा,   अंदाज़  कर  के  देख  ले ||



आज  भी  मैं  गुज़रे  कल  का  आदमी …
Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on February 20, 2011 at 9:25pm — 1 Comment

GHAZAL - 26

                          ग़ज़ल



मैं  हिस्सा  हूँ  उस  समाज  का,  जो  विवेक  से अंधा है |

लूट  क़त्ल  और  बेशर्मी,   हाँ   मेरे   खून   का  धंधा  है ||



बेइमानी और मक्कारी,  अपना हित, औरों का शोषण,

चालाकी  से  करने  वाला,   यहाँ   खुदा   का   बन्दा   है ||



धर्म छोड़कर,  शर्म छोड़कर,  ओढ़  लबादा  पशुता  का,

दानवता  के  पथ  पर  चलना,   प्यारा   गोरखधंधा   है ||



हाथ  में …
Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on February 20, 2011 at 8:58pm — No Comments

Ghazal - 7

                               ग़ज़ल



सौ  अफसानों  जैसा  मेरा,  भी बस इतना  अफ़साना  है |

जिस दुनिया ने दर्द दिया है, दिल  उसका  ही  दीवाना है ||



शायद वो  तस्वीर   हो ऐसी,  जो  इस  दिल  को  पहचाने,

इसी आश में जिआ हूँ अब तक, और यूँ ही जीते जाना है ||…



Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on February 4, 2011 at 7:00pm — 2 Comments

GHAZAL - 25

                ग़ज़ल



हर   रिफअत  मुझसे  फकत,   सादमां  रहा |


ज़ुल्म  थी  ज़मीं   और   कहर  आसमां  रहा ||



खुर्शीद -ओ- चाँद-तारे,  शोले  बने  हैं  आज,


गुल  है  न   कोई   गुलशन  न  बागवां  रहा ||



मिलते   नहीं   हैं   रिश्ते,  वज्मे - ज़हान  में,


साकी  के  मय को मयक़स,  है आजमा रहा ||



हसरत है ज़िंदा लेकिन अब मर चुका है दिल,…
Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on January 15, 2011 at 9:00pm — 1 Comment

GHAZAL - 24

                    ग़ज़ल



इन्सां  तेरे  कदम  तक,   ये  आसमां  झुके |

मंजिल  न  हो  जहाँ,  न  वहाँ  कारवाँ  रुके ||



हस्ती है तेरी खुद में  चिरागां -ए-शब्,  सहर,


तूफां  है  तू  वो,  देख  जिसे,  हर  रवां  रुके ||



रौशन हैं तुझसे रौशनी,  के कारवाँ -ओ- दर,


मुमकिन है, तू जो चाहे, तो खुद, खुदा झुके ||



मंजिल है तेरी वो क़ि-  ज़न्नत  को  रश्क  है,…
Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on January 15, 2011 at 12:58pm — 4 Comments

GHAZAL - 23

    ग़ज़ल



हमनें हज़ार गम इस,  दिल से लगा लिए हैं |

जब
दर्द हद से गुजरा,  आँसूं  बहा  लिए  हैं ||



उनका भरम है शायद,  काँटों को मैं ने चाहा,

पर, राह में मिले तो,  ये  साथ  आ  लिए हैं ||



है किसके दिल की चाहत, उसे चैन न मिले,

पर,  आश  के  दीपक,  बस नाम के दिये है ||



कभी इसके दर पे बैठे, कभी उसके दर पे बैठे,

ये …
Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on January 15, 2011 at 12:30pm — 4 Comments

GHAZAL - 22

                       ग़ज़ल





फ़र्ज़  के  पैगाम  का  बस,  उम्र  भर  ये  स्वर  सुना  है |

युग विजेता बन  मनुज  तू ,  जिसने ये अम्बर बुना है ||



वो  कि -   जो  बैठे  हुए  थे   खुद   किनारों  पर   कहीं,

कह  रहे  थे -   खास  गहरा  नहीं  ये  सागर,  सुना  है ||



कल  न  जाने  बात  क्या  थी ?  आसमां  नीचा  लगा,

आज  जब  उँचाई  उसकी  नाप  ली  तो  सिर  धुना  है ||



लौट  कर  आया  नहीं,  उस  ख़त  के  बदले  कोई…
Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 25, 2010 at 7:46pm — 1 Comment

GHAZAL - 21

ग़ज़ल





भारत  माता  माँग  रही  है - इस  नीति  से  पूर  विधान |

जिसमें हों सब  भाई बराबर, जाति - धर्मं से दूर, समान ||



जिसमें किसी की हो न उपेक्षा, मिले बराबर का अधिकार,

सब  हों  माँ  के एक से बेटे- अधिकारी, मजदूर, किसान ||



तंग  दिलों  से  बाहर  आ  कर, आओ,  रचें हम वह संसार.

जिसमें  सुख की हो सुगंध पर हों न दुखों के क्रूर निशान ||



बात   जोहती   है  भारत माँ , बेटों   के  इस   न्याय   का ,

जिसकी …
Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 25, 2010 at 11:35am — 2 Comments

GHAZAL - 20

                    ग़ज़ल





मेरे  दिल  को  जलाने  वाले,  खुदा  तेरा  भी  दिल  जलाए |

मुझे जो तूने दिया है ये गम, तेरे भी दिल को सुकूँ न आये ||



मेरी  मुहब्बत  न तूने समझी, मुझे जो तूने दिया है ये गम,

खुदा तुझे भी अमन न बख्शे , तेरे चमन को खिज़ां जलाये ||



मेरी  वफ़ा  को जूनून  कहकर, मुझे जो तूने कहा है पागल,

तुझे   सजा   दे   खुदाई   इसकी, दर्द  तुझको  गले लगाए ||



जफा  के  खंज़र, का ये कातिल, दर्द क्या…
Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 24, 2010 at 11:05pm — No Comments

GHAZAL - 19

                 ग़ज़ल





दोस्तों, कुछ  रात  ऐसी  भी थी, जब  सोया  नहीं  मैं |

दर्द  से  तड़पा  बहुत  पर  चीख  कर  रोया  नहीं  मैं  ||



कोई  शीशा  सा  तड़क  कर,  टूट, दिल  में  आ चुभा,

इसलिए  उस  रात भर तक, ख्वाब में खोया नहीं मैं ||



कौन सी मंजिल है किसकी और कहाँ किसका मकाँ ?

कौन  है  इस  राह  पर  भटका  हुआ, वो  या  कहीं मैं ?



ज़िन्दगी   के   मायने,  अहसान …
Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 24, 2010 at 10:55pm — 2 Comments

GHAZAL - 18

                       ग़ज़ल





न  जाने  कब  वो  समझेंगे  मुहब्बत  मेरे इस दिल की |

सताती  है  बहुत  मुझको,  अदा  
ये  मेरे  कातिल  की ||



ज़माना  देख  कर  मुझको,  पलट  कर  के  उलझता  है,

नज़र   मेरी   तरफ   उठती  नहीं  पर  मेरी  मंजिल  की ||



जिन्हें   मेरी   तमन्ना   है,  मेरी   चाहत   नहीं  हैं  वो,

मेरी  चाहत  की  चाहत  मैं  नहीं, है  बात …
Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 22, 2010 at 2:30pm — 3 Comments

GHAZAL - 17

                  ग़ज़ल



प्रश्न   मेरे  सामने  यह   एक   अन्धा   सा   कुआँ    है |

क्या हुआ जो दोस्त था कल आज वो दुश्मन  हुआ  है ||



जिसने  दी  थी  कल  खुशी, वो  आज  आँसू दे रहा,

ये   न  जाने   किसकी   मेरे   वास्ते एक …

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 20, 2010 at 3:00am — 2 Comments

GHAZAL - 16

                    ग़ज़ल



रात - रात  भर  सोते - जगते,  मैंने   उसे   मनाया   है |

फिर भी खुदा न मेरा अब तक, सिर  सहलाने  आया है ||



कहते हैं- मालिक ने हमको, तुमको, सबको, जन्म दिया,

पर  लगता  है - कोई  वो पागल था जिसने भरमाया है ||



एक …

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 19, 2010 at 12:00am — 2 Comments

GHAZAL - 15

                   ग़ज़ल



मैं   दर्दों   का   समंदर   हूँ,  ग़मों  का  आशियाना   हूँ |

मैं  जिंदा  लाश  हूँ , बीमार  दिल , घायल  फसाना हूँ ||



बदन  पर  ये  हजारों  ज़ख्म, तोहफे  हैं  ये  अपनों के,

मैं  जिनके  प्यार  का  बीमार, आशिक हूँ , दिवाना हूँ ||…



Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 18, 2010 at 9:30pm — 1 Comment

GHAZAL - 14

                               ग़ज़ल



बहुत  विषैला  है  विष  यारो,  दुनिया   की  सच्चाई  का |

आखिर,   कैसे  दर्द  सहें  हम,  दिल  में  फटी बिवाई का ||



बनकर  इन्सां  जीते - जीते  खुद  को  हमने  लुटा  दिया,

फिर  भी  तमगा मिला न हमको एक अदद अच्छाई का ||…



Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 18, 2010 at 2:00am — 2 Comments

GHAZAL - 11

                       ग़ज़ल





दिलनशीं, सुन ले कि- मुझको, तुझ से कितना प्यार है |

तुझमें    ही    सारी   दुनिया,   और    मेरा    संसार    है ||



प्यार है इतना नज़र से ,   दिल   तलक   तेरे   वास्ते ,

ज़र्रे - ज़र्रे    में    तेरा    ही    अक्श    एक    दरकार   है ||…



Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 15, 2010 at 8:00pm — 2 Comments

GHAZAL - 5

                          ग़ज़ल



मीत   मेरे   मैं   तुम्हारी   रूह   का   श्रृंगार   हूँ |

प्यार हो तुम मेरे दिल का, मैं तुम्हारा  प्यार हूँ ||



हर   ख़ुशी  और  राह  मेरी,   मीत  मेरे  एक है,

तू मेरा आधार  प्रियतम,  मैं   तेरा  आधार  हूँ ||



तू…

Continue

Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 14, 2010 at 9:30pm — No Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
20 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
Monday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service