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                    ग़ज़ल


मेरे  दिल  को  जलाने  वाले,  खुदा  तेरा  भी  दिल  जलाए |
मुझे जो तूने दिया है ये गम, तेरे भी दिल को सुकूँ न आये ||

मेरी  मुहब्बत  न तूने समझी, मुझे जो तूने दिया है ये गम,
खुदा तुझे भी अमन न बख्शे , तेरे चमन को खिज़ां जलाये ||

मेरी  वफ़ा  को जूनून  कहकर, मुझे जो तूने कहा है पागल,
तुझे   सजा   दे   खुदाई   इसकी, दर्द  तुझको  गले लगाए ||

जफा  के  खंज़र, का ये कातिल, दर्द क्या है ? तू भी समझे,
तेरा  मुक़द्दर, तेरी  वफ़ा  से, तुझे  भी ऐसी  जफा  दिलाये ||

मेरी  मुहब्बत  को  दे  के  ठोकर,  जैसे  तूने  मुझे  सताया,
तेरी  मुहब्बत  भी  दे  के  ठोकर, यूं  ही  तेरा  दिल सताए ||

तन्हाइयों में घुटन है कितनी ? कितनी कातिल है ये जुदाई ?
तुझे  भी  इससे  रूबरू  कर , गम से तुझको खुदा मिलाये ||

                      रचनाकार - अभय दीपराज

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