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AMAN SINHA's Blog – December 2022 Archive (4)

उपकार

तेरे उपकार का ये ऋण, भला कैसे चुकाऊंगा? 

दबा हूँ बोझ में इतना, खड़ा अब हो ना पाऊँगा 

मेरी पूंजी है ये जीवन, जो तुम चाहो तो बस ले लो 

सिवा इसके तुम्हें अर्पण, मैं कुछ भी कर ना पाऊँगा 

         

दिया था हाथ जब तुमने, मैं तब डूबता हीं था 

सम्हाला था मुझे तुमने, के जब मैं टूटता हीं था 

मैं भटका सा मुसाफिर था, राह तू ने था…

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Added by AMAN SINHA on December 26, 2022 at 2:22pm — No Comments

उम्मीद

डूबते को जैसे तिनके का, सहारा काफी होता है

हर निराश चेहरे का, उम्मीद हीं साथी होता है

अंधेरी गुफा में जब कोई राही, अपनी राह बनाता है

आँखों से कुछ दिख ना पाए, उम्मीद पर बढ़ता जाता है 

जब कोई अपना संगी-साथी, अपनों से बिछड़ जाए

और दूर तक उसके पग के, निशां ना हमको मिल पाए

तब भी ये उम्मीद हीं है, जो हमको बांधे रखती है

मिल जाएगा हमदम…

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Added by AMAN SINHA on December 19, 2022 at 3:05pm — 1 Comment

हम मिलें या ना मिलें

हम मिलें या ना मिलेंं, चाहे फूल ना खिलें 

लेकिन इन हवाओं में, हमारा वजूद होना चाहिए 

हम चलें जिस राह में, मंज़िलों की चाह में 

गर मिल सके ना कारवाँ से 

राहपर अपने मगर, निशान होने चाहिए …

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Added by AMAN SINHA on December 12, 2022 at 2:00pm — 1 Comment

नर हूँ ना मैं नारी हूँ

नर हूँ ना मैं नारी हूँ, लिंग भेद पर भारी हूँ

पर समाज का हिस्सा हूँ मैं, और जीने का अधिकारी हूँ

 

जो है जैसा भी है रुप मेरा, मैंने ना कोई भेष धरा

अपने सांचें मे कसकर हीं, ईश्वर ने मेरा रुप गढ़ा 

माँ के पेट से जन्म लिया, जब पिता ने मुझको गोद लिया

मेरी शीतल काया पर ही, शीतल मेरा नाम दिया

 

जैसे-जैसे मैं…

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Added by AMAN SINHA on December 5, 2022 at 1:26pm — 1 Comment

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