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लक्ष्मण रामानुज लडीवाला's Blog – December 2013 Archive (3)

रोज नया त्यौहार (दोहे)- लक्ष्मण लडीवाला

सभी सहह्रदयी सदस्यों को नव वर्ष की हार्दिक मंगल कामनाएँ

 

स्वागत हो नव वर्ष का, दे सुन्दर उपहार,
मधुर गीत रच दे सके, शब्द सुमन मनुहार |
 
नए वर्ष की प्रथम किरण, दे सुन्दर अहसास,
नया जोश संचित करे, रचे नया इतिहास |
 
नवजीवन श्रृंगार से, रच नूतन संगीत,
नयी चेतना दे सके, नया सुगम नवगीत | 
 
सात्विक मन की सोच से,नित नूतन आकार 
नए वर्ष की भोर का, सुधि मन से…
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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 31, 2013 at 2:30pm — 21 Comments

कुंडलिया छंद - लक्ष्मण लडीवाला

गाली देते लोग जो , बोलें कभी सटीक,

गाली या अपशब्द क्या, लगते प्रेम प्रतीक ?

लगते प्रेम प्रतीक, कूल क्या उन्हें समझना

उनका ही उपहास, समझते जिनको अपना ||

यह तो है अपवाद, कहें सब प्रिय को साली.

स्नेह-प्रीति संवाद, न समझें इसको गाली ||

.

(2)

तू तू मै मै में करे, आपस में जो बात,

समझें इसको सभ्यता, या उनकी औकात |

या उनकी औकात, स्नेह की कहाँ निशानी

निखर सके व्यक्तित्व, अगर दिल हो इन्सानी |

कहे…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 10, 2013 at 7:00pm — 11 Comments

कुंडलिया छंद - लक्ष्मण लडीवाला

नीरसता में बदलता, नाशवान सुख-भाग,

सुख दुख में सम भाव रह,भौतिक सुख है रोग |

भौतिक सुख है रोग, अर्थ जीवन का जाने 
खुद का हो उद्देश्य, कृपा हम प्रभु की माने | 

कह लक्ष्मण कविराय, भरे मन में समरसता,
स्वच्छ करे मन भाव, तब न होगी नीरसता ||

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 4, 2013 at 9:30am — 11 Comments

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