कोई सपना भटक रहा है मेरी आँखों में
पल पल चन्दन महक रहा है मेरी आँखों में
दरिया, नदिया, ताल नहर सब भीगे भीगे है
कब से बादल लहक रहा है मेरी आँखों में
पल भर बतियाता है फिर ओझल हो जाता हैं
किसका चेहरा झलक रहा है मेरी आँखों में
गालिब, की ग़ज़लों सी नाजुक एक कली को देख
कोई हिरना फुदक रहा है मेरी आँखों में
एक ग़ज़ल बातें करती है टुकड़ों में मुझसे
तन्हा मिसरा फटक रहा है मेरी आँखों…
ContinueAdded by अमि तेष on November 11, 2013 at 9:00pm — 9 Comments
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