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Ajay Kumar Sharma's Blog – July 2017 Archive (1)

'अजय' बीते जमाने में कहीं कुछ छोड़कर आया,

जरा सा सोंचकर देखा तो मुझको याद कर आया,

'अजय' बीते जमाने में कहीं कुछ छोड़कर आया,



सजी यारों की महफिल थी बड़ा बेखौफ बचपन था,

बड़ी मजबूरियों ने रास्तों पर जाल बिछवाया,



ज़माने को समझने की बड़ी पुरजोर कोशिश की,

ज़माने की नसीहत ने ही मुझको और भरमाया,



जिन्हें अपना समझ बैठे थे सारी भूलकर शर्तें,

उन्हीं के कारनामों ने ही मुझको और तड़पाया,



सिवा तेरे जहाँ में और कोई है नहीं मेरा,

मेरे मौला , मेरे मौला तू मेरी रूह में… Continue

Added by Ajay Kumar Sharma on July 5, 2017 at 11:57pm — 6 Comments

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