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UMASHANKER MISHRA's Blog – June 2012 Archive (3)

कस लो तीर कमान

कोई जड़ है खोद रहा कोई डाले खाद

हंगामा ऐसा करो  लोग करे फरियाद



फरियादी की आड़ में कोई झोंके भाड़

जबभी डंडा बरसे है कोई हो गया आड़



कोई का मतलब बड़ा राजनीती के लोग

आगे करके जनता को खूब लगाये भोग



आग लगी पेट्रोल में हंगामा था…

Continue

Added by UMASHANKER MISHRA on June 15, 2012 at 12:00am — 6 Comments

परिवर्तन

अग्नि प्रज्वलित हुई धरा पर

परिवर्तन एक गढ़ने को

चला काफिला जनतंत्री का

अब नव चिंतन करने को

नकली रूपया नकली वस्तु

खेल हो रहा ठगने को

महंगाई है खून चूसती

बढ़ रही पिसाचिन मरने को…

Continue

Added by UMASHANKER MISHRA on June 4, 2012 at 11:30am — 17 Comments

खून के उफान को ....

टूटते हैं टूटने दो, अब ह्रदय के तार को

छूटते हैं छूटने दो, खून के उफान को

हटो छोडो रास्ता अब, कफ़न सर पर लिये हैं

मौत से अब डर किसे है, मौत से लगते गले हैं

सह चुके अब ना सहेंगे, इस देश के अपमान को

टूटते हैं टूटने दो, अब ह्रदय के तार को

विश्व में उपहास के, कारण बनाये जाते हैं

खद्दरों के भेष में, दीमक हजम कर जाते हैं

इस देश की संपत्ति और, इस देश के सम्मान को

छूटते हैं छूटने दो, खून के उफान को

आम आदमी यहाँ, हाशिए में होता है

जिंदगी कि दौड…

Continue

Added by UMASHANKER MISHRA on June 2, 2012 at 12:30am — 14 Comments

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