२१२२ २१२२ २१२२ २१२
आकलन सरकार का तो खूब करते आप हैं
पर न सोचा आपने कितने किये खुद पाप हैं
हुक्मरानों को किया पैदा भी खुद है आपने
इस तरह रिश्ते से उनके आप माई बाप हैं
इक मसीहा तो सफाई के लिए चिल्ला रहा
रोज क्या ये भी कहे बीमारियाँ अभिशाप हैं
गंगा तू पावन करेगी पापी को वरदान ये
खुद सड़ेगी कोढियों सी कब मिले ये शाप हैं
बाँध सडकें पुल हुए कमजोर महलों वास्ते
लूट के ही माल से करते लुटेरे…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on June 28, 2016 at 2:30pm — 4 Comments
२१२२ २१२२ २१२२
याद उसको आज जब मैं कर रहा था
हिचकियाँ उसको न आयें डर रहा था
जिस जगह पर हुक्मरानों का महल है
हम गरीबो का वहाँ कल घर रहा था
जिस ग़ज़ल के दाम लाखों में लगे थे…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on June 24, 2016 at 12:00pm — 8 Comments
२१२२ ११२२ २१२२ २२ /११२
हाय वो कसमे वो वादे क्यूँ भुलाये तूने
क्या सबब रो के यूं आंसू भी बहाये तूने
खून से लिख्खे खतों में थी मेरी जान बसी
बेरहम हो के सभी ख़त वो जलाये तूने…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on June 23, 2016 at 1:30pm — 3 Comments
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
इक दफा ये मर्ज लग जाये तो छुटकारा नहीं
इश्क है ये मस्त खुशबू का कोई झोंका नहीं
यार तुमने जिन्दगी को गौर से देखा नहीं
दरमियाँ मेरे तुम्हारे लक्ष्मनी रेखा नहीं
तपती साँसों की तपिश कुछ सच बयानी कर रही
धड़कने कहती हैंं दिल की प्यार है धोखा नहीं
इश्क का अहसास कैसे ज़िंदगी में आ गया
शेख जी कुछ राय देंगे मैंने कुछ सोचा नहीं
इश्क है रब की इबादत राज गहरा जान लो
देख…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on June 16, 2016 at 2:30pm — 5 Comments
२१२२ ११२२ ११२२ २१२
आइना सब को दिखाते हैं कभी खुद देखिये
क्यूँ लगी ये आग हरसू आप खुद ही सोचिये
हुक्मरानों ने खता की बच्चों से बचपन छिना
अब्बू ना लौटेंगे चाहे लाख आंसू पोंछिये
अम्मी के हाथों के सेवइ अम्मा के हाथों की खीर
एक जैसा ही सुकू देती है खाकर देखिये
दिल हमीदों का न तोड़ो गर है कोई सिरफिरा
मौत हिन्दी की हुई मत हिन्दू मुस्लिम बोलिये
जो बचाने में लगा है इस वतन की आबरू
हम बिरोधी उसके हैं या नीतियों के…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on June 13, 2016 at 1:57pm — 12 Comments
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