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Nilesh Shevgaonkar's Blog – June 2023 Archive (3)

ग़ज़ल नूर की- चाहें किसी को और निबाहें किसी से हम

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चाहें किसी को और निबाहें किसी से हम

ख़ुश होईये कि हो ही गए आदमी से हम.

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वो आते इस से क़ब्ल दवा काम कर गई

उकता गए हकीम की चारागरी से हम.

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दीवार पर लगी हुई तस्वीर है अना

पीछे से झाँकती हुई इक छिपकली से हम.  

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बन्दों में और ख़ुदा में अजब घालमेल है

हम से ही वो बना है, बने हैं उसी से हम.

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सूरज नहीं हैं हम जो किसी रात से डरें

लड़ते रहेंगे सुब्ह तलक तीरगी से हम.

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दुनिया की दौड़…

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Added by Nilesh Shevgaonkar on June 28, 2023 at 5:00pm — 6 Comments

ग़ज़ल नूर की - अँधेरे पल में ख़ुद के ‘नूर’ का दीदार हो जाना

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अँधेरे पल में ख़ुद के ‘नूर’ का दीदार हो जाना

ये ऐसा है कि दुनियावी बदन के पार हो जाना.

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कई सदियों से बस किरदार बन कर थक चुका हूँ मैं

मेरी है मुख़्तसर ख़्वाहिश कहानी-कार हो जाना.

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दुआ है, जान है जब तक मेरा ये जिस्म चल जाए

बहुत रंजीदा करता है यूँ ही बेकार हो जाना.  

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जिन्हें मैं जोड़ने में रोज़ थोड़ा टूट जाता था

उन्हें भी रास आया है मेरा मिस्मार हो जाना.     (तक़ाबुले रदीफ़ स्वीकर करते हुए)

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मेरी बातें वही…

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Added by Nilesh Shevgaonkar on June 19, 2023 at 5:15pm — 6 Comments

ग़ज़ल नूर की - बनें जब तक बना कर हम रखेंगे इस ज़माने से

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बनें जब तक बना कर हम रखेंगे इस ज़माने से

फिर इक दिन लौट जाएँगे चले थे जिस ठिकाने से.  

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अँधेरे की हुकूमत यूँ तो चारों सिम्त फैली है

मगर वो काँप जाता है दीये के टिमटिमाने से.

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तो फिर दरिया तो क्या मैं इक समुन्दर भी बहा देता

अगर बिछड़ा कोई मिलता हो अश्कों के बहाने से.

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कई बरसों से मैं बस उन की ही महफ़िल में जाता हूँ

जिन्हें कुछ फ़र्क़ पड़ता हो मेरे आने न आने से.

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बड़प्पन ये कि औरों से लकीर अपनी बड़ी रक्खें

नहीं बढ़ता किसी…

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Added by Nilesh Shevgaonkar on June 14, 2023 at 1:00pm — 2 Comments

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