212 1222 212 1222
हर अदा, हवाओं की शोखियाँ समझती हैं
बेखबर नहीं सबकुछ पत्तियाँ समझती हैं
थरथराने लगती हैं इक ज़रा छुअन से ही
बागबाँ है या भँवरे डालियाँ समझती हैं
दर्द कितना है कैसा लग रहा है मुझको ये
मेरे ज़ख़्म से लिपटी पट्टियाँ समझती हैं
आजकल निगाहों को क्या हुआ ज़माने की
तज़्रिबे को चेहरे की झुर्रियाँ समझती हैं
हसरतें हदों को ही भूलने लगी हैं आज
फिक्र को बड़ों की वो बेड़ियाँ…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on May 27, 2014 at 4:00pm — 18 Comments
तोड़ धैर्य के बाँध को, उफन गया सैलाब।
कुछ से उम्मीदें बढ़ीं, कुछ के टूटे ख़्वाब।।
लाँघी सीमा क्रोध की, ऐसा क्या आक्रोश।
भला बुरा सोचा नहीं, अंधा सारा जोश।।
श्रम भी काम न आ सका, काम न आया अर्थ।
बुरे कर्म की कालिमा, यत्न हुआ सब व्यर्थ।।
राग द्वेष का हो मुखर, जिनके मुख से राग।
शक्ति उन्हें मिल ही गई, जो-जो उगलें आग।।
ज्यों बिल्ली के भाग से, छींका फूटा आज।
दण्ड एक को यों मिला, दूजा पाये…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on May 20, 2014 at 11:40pm — 30 Comments
फौलाद भी
चोट से आकार बदल लेते हैं
या टूट जाते हैं
फिर इंसान की क्या बिसात
कब तक सहेगा चोट
आखिर टूटना पड़ेगा
इंसान ही तो है
मगर
टूटकर भी कायम रहेगा
या बिखर जायेगा
ये इंसान की प्रकृति तय करेगी
हालात बदलने को तैयार है
पुरानी सड़क पर
डामर की नई परत बिछेंगी
खण्डरों का जीर्णोद्धार होगा
पुरानी इमारत के मलबे पड़े हैं
कुछ मलबे काम आयेंगे
कुछ मलबे मिटाये जायेंगे
ये…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on May 15, 2014 at 6:08pm — 36 Comments
1222/ 1222/ 1222/ 1222
यूँ ही सोचा ज़माने की रविश भी जान ली जाये
पसे तस्वीर सूरत किसकी है पहचान ली जाये पसे तस्वीर= तस्वीर के पीछे
ज़रा देखूँ कि सच कितना है तेरे इन दिखावो में
चलो कुछ देर को तेरी कही भी मान ली जाये
कभी तो आप अपने तज़्रिबे से तौलें सच्चाई
ज़रूरी तो नहीं है हाथ में मीज़ान ली जाये मीज़ान =तराजू
नहीं लगती मुझे अनुकूल मौसम की तबीयत क्यूँ
बरस जायें न…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on May 3, 2014 at 12:30pm — 23 Comments
2023
2020
2018
2017
2016
2015
2014
2013
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |