For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तोड़ धैर्य के बाँध को, उफन गया सैलाब।

कुछ से उम्मीदें बढ़ीं, कुछ के टूटे ख़्वाब।।

 

लाँघी सीमा क्रोध की, ऐसा क्या आक्रोश।

भला बुरा सोचा नहीं, अंधा सारा जोश।।

 

श्रम भी काम न आ सका, काम न आया अर्थ।

बुरे कर्म की कालिमा, यत्न हुआ सब व्यर्थ।।

 

राग द्वेष का हो मुखर, जिनके मुख से राग।

शक्ति उन्हें मिल ही गई, जो-जो उगलें आग।।

 

ज्यों बिल्ली के भाग से, छींका फूटा आज।

दण्ड एक को यों मिला, दूजा पाये राज।।

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 782

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 3, 2014 at 10:57am

आदरणीय सौरभ सर आपका हार्दिक आभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 1, 2014 at 1:22am

हर दोहे के लिए अलग-अलग बधाई, शिज्जू भाईजी. 

बहुत खूब !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 29, 2014 at 10:09am

आदरणीय बृजेश जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 29, 2014 at 10:09am

आदरणीय जवाहरलाल जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 29, 2014 at 10:09am

आदरणीय सुरेन्द्र जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 29, 2014 at 10:08am

आदरणीय गिरिराज सर आपका आभार

Comment by बृजेश नीरज on May 27, 2014 at 7:27pm

बहुत सुन्दर दोहे! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 26, 2014 at 9:46pm

अजब गजब दोहे कहे, करें नहीं अब राग
विद्वानों ने भी गाये, मिला राग में राग!

 सादर श्री शिज्जू शकूर जी 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 26, 2014 at 2:56pm

श्रम भी काम न आ सका, काम न आया अर्थ।

बुरे कर्म की कालिमा, यत्न हुआ सब व्यर्थ।।

सुन्दर भाव ...अच्छी रचना ....सुन्दर सन्देश देते हुए
भ्रमर ५


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 26, 2014 at 12:43pm

आदरणीय शिज्जू भाई , सुन्दर दोहो की रचना की है , इशारा साफ है , सार्थक दोहों के लिये आपको बधाई ॥

हार जीत के खेल मे , इक की होती जीत

अब चाहे नफरत करो , चाहे उससे प्रीत

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
5 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
5 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
5 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service