तेरे लब छू के, कोई हर्फ़-ए-दुआ हो जाता.
तू अगर चाहता, तो मैं भी ख़ुदा हो जाता.
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तन्हाइयों में गीत लिखे, और गा लिए.
नाकाम दिल के दर्द हँसी में छुपा लिए.
कल शब जो ज़िंदगी से हुआ सामना "साबिर"
क़िस्से सुने कुछ उसके, कुछ अपने सुना लिए.
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हमने तो तुझे अपना ख़ुदा मान लिया है,
अब तेरी रज़ा है कि करम कर या मिटा दे.…
ContinueAdded by डॉ. नमन दत्त on May 24, 2011 at 6:30pm — 6 Comments
= एक =
कोई इंसा "किसी" के लिए -
सिसकता है, मचलता है, तड़पता है......
रोता है, मुस्कुराता है....
गाता है, गुनगुनाता है....…
ContinueAdded by डॉ. नमन दत्त on May 17, 2011 at 9:06am — 3 Comments
आप सभी ने मेरी ग़ज़लों को सराहा...धन्यवाद के साथ हिंदी का एक गीत आप सबके समक्ष रख रहा हूँ...आशा करता हूँ कि इसके लिए भी आप लोगों का आशीर्वाद मुझे पूर्ववत मिलेगा...
= सावन के अनुबंध =
सावन के अनुबंध...
नयन संग सावन के अनुबंध.....
रिश्तों की ये तपन कर गई, मन…
ContinueAdded by डॉ. नमन दत्त on May 14, 2011 at 4:49pm — 4 Comments
साथियो,
सादर वंदे,
मैं संगीत की साधना में रत उसका एक छोटा सा विद्यार्थी हूँ और कला एवं संगीत को समर्पित एशिया के सबसे प्राचीन " इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ " में एसोसिएट प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत हूँ...मुझे भी ग़ज़लें कहने का शौक़ है...मैं " साबिर " तख़ल्लुस से लिखता हूँ... अपनी लिखी दो ग़ज़लें आप सबकी नज़र कर रहा हूँ...नवाज़िश की उम्मीद के साथ......
= एक =
रूह शादाब कर गया कोई.…
ContinueAdded by डॉ. नमन दत्त on May 14, 2011 at 9:00am — 13 Comments
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