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Seema agrawal's Blog – May 2015 Archive (1)

नवगीत (सीमा अग्रवाल)

आवश्यकता नहीं ‘खबर’ अब

है मनोरंजन

 

ओढ़ चुनरिया गाँव गाँव

कूल्हे  मटकाती

चिंता चिंतन  झोंक  भाड़ में

मन  बहलाती

 

शर्त मगर

नाचेगी बैरन

बस तब तक ही

पैरों पर जब तक सिक्कों की 

है खन खन खन

 

कुशल  अदाकारों  के 

जैसी रंग  बदलती

मौसम  जैसा हो वैसे  ही

रोती  हँसती

 

धता बताती घोषित कर

कठहुज्जत जिसको

निमिष मात्रा मे ही

करती उसका…

Continue

Added by seema agrawal on May 1, 2015 at 8:00pm — 9 Comments

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