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"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 29 में प्रस्तुत गीत का सस्वर गायन ..........सीमा 

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 5, 2013 at 6:51pm

आदरणीया सीमा जी,

एक बार, दो बार , बार बार इतना सुन्दर भावप्रवण गीत आपकी इतनी मधुर आवाज में सुनकर बस मन मुग्ध है.....बहुत बहुत बढ़िया, पूरे उतार चढ़ाव के साथ भावों को बहुत खूबसूरती से उभारते हुए गाया है आपने...

इस सुन्दर गायन के लिए दिल से बहुत बहुत बधाई..

आप मंच से बीच बीच में गायब हो जाती हैं.... आपकी रचनाओं का बहुत इंतज़ार रहता है. अब तो आपके गायन का भी रहेगा.

सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 5, 2013 at 6:49pm

भाव, शब्द, कथ्य, तथ्य, शिल्प हर विन्दु से संतुलित इस गीत पर काव्य महा-उत्सव आयोजन के दौरान ही बहुत कुछ कहा-सुना जा चुका है.

गीत के सस्वर निवेदन में सीमाजी का स्वर, उनके स्वर की लयात्मकता, उस लय की सधी हुई आवृति तीनों समुच्चय में कर्णप्रिय तो लगे ही हैं, इस संप्रेषण-संसृति में रचनानुरूप भावभरा अपेक्षित ठहराव भी सहज प्रतीत होता है, जो श्रोता की एकाग्रता को थामे रहता है. स्वरांजलि में यह ठहराव मानों एक निर्दोष हठ लिये हुए है, मौन की वाचालता को भावजन्य आयाम देता हुआ. .. शब्द जब थकने लगें मैं तब सुनाऊँगा हृदय की..  ..  तब तक के लिए ..  . तू मौन को जो पढ सके सुन मैं बहुत वाचाल हूँ.. .

सादर

Comment by Meena Pathak on April 5, 2013 at 4:56pm

इतनी मीठी आवाज में गीत सुन के दिल खुश हो गया ... बहुत बहुत बधाई सीमा जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 5, 2013 at 12:58pm

आदरेया सीमा जी सादर, बहुत सुन्दर गीत सुनकर लगा जैसे पहले भी सुना है पुनः देखने पर समझ आया की यह ओबीओ महोत्सव में सुना था. सचमुच सुन्दर गीत यकीन मानिए आपके स्वर ने गीत में जान डाल दी है. बहुत सुन्दर पुनः बधाई. आशा करता हूँ आगे भी आपसे ऐसे ही सुन्दर गीत सस्वर सुनने को मिलते रहेंगे.

सादर.

Comment by ram shiromani pathak on April 5, 2013 at 12:02pm

इस अत्यंत ही मधुर वाणी में मधुर शब्दों का मेल एक सुखद अनुभूति दे गया..!

अद्भुत अद्भुत अद्भुत अद्भुत 

 बधाई स्वीकारें आदरेया सीमा जी।
सुन्दर प्रस्तुति!

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 5, 2013 at 3:02am

जी उठा जीवन उड़ा
बेख़ौफ़ पहने
फाग के पर
कुछ पलों को ही सही
पल कट गए संत्रास के

इस अत्यंत ही मधुर वाणी में मधुर शब्दों का मेल एक सुखद अनुभूति दे गया..!

अद्भुत, अद्वितीय, अपूर्व.. सादर शुभकामनाएँ.. आदरणीया..!!

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 4, 2013 at 10:48pm

ग़ज़ब ग़ज़ब ग़ज़ब

आपकी रचना और आपकी आवाज दोनों ही

बहुत बहुत बधाई हो आपको

क्या बात है

बार बार सुन रहा हूँ

सच कहूँ किसी कवियत्री को पहली बार इतना मीठा सुन रहा हूँ .........हमें आप पर गर्व है ..............लाजवाब

Comment by Vindu Babu on April 4, 2013 at 10:38pm
अनोखे रंग मे रंगी फागुई रचना के लिए सादर बधाई स्वीकारें आदरेया सीमा जी।
सुन्दर प्रस्तुति!

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