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बसंत नेमा's Blog – March 2013 Archive (3)

खुली किताब ( OPEN BOOK )

(  ये कविता सूरज को दीपक दिखाने के बराबर है फिर भी मेरी तरफ से  ओबीओ के सम्मान मे एक तुच्छ सी भेट,   )

 

खुली किताब ( OPEN BOOK )

 

ये खुली किताब है बडी अनोखी, है गद्य-पद्य रचना की…

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Added by बसंत नेमा on March 20, 2013 at 5:00pm — 1 Comment

आयो होली का त्यौहार

आयो होली को त्यौहार

रंग सतरंगी लेकर आई एक छैलछबिली नार,

आ के पास कर गई मेरे रंग बिरंगे गाल ।

कि आयो होली को त्यौहार्, कि आयो होली को त्यौहार् ॥.…

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Added by बसंत नेमा on March 14, 2013 at 2:00pm — 8 Comments

हंसबैंड,

हंसबैंड

बिल शोपिंग का देते –देते, जिसकी ढीली हो गई पेंट

फिर भी हंसते हंसते जो , खुद की बजवाये बैण्ड ...

उसको कहते है हंसबैंड, की भईया कहते है हंसबैंड,

भोर भई जब सोते सोते बीबी बोले डार्लिंग,

देखो बाहर सूरज निकला, हो गई है गुड मार्निग.

यदि…

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Added by बसंत नेमा on March 11, 2013 at 11:30am — 5 Comments

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