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लक्ष्मण रामानुज लडीवाला's Blog – February 2014 Archive (4)

कुंडलिया छंद-लक्ष्मण लडीवाला

एनजीओ खूब बने, करे न सेवा ख़ास 

टैक्स बचे इज्जत बढे,धन की करते आस

धन की करते आस,नहीं कुछ सेवा करते 

फैशन बना विशेष, ओट में पीया करते 

करके बन्दर बाट, खूब लूटकर जीओ

धन अर्जन की प्यास लिए बने एनजीओ |

(२)

लोहा मनवाते रहे, करते वे अभिमान 

गर्व रहा नहीं स्थाई,रखे न इसका भान 

रखे न इसका भान,ज्ञान न चक्षु के खोले 

जीवन का है मोल,सोच समझ के न बोले

कहते है कविराय,  शिल्प में सोहे दोहा  

करते जो सम्मान, मान उसका ही लोहा…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 22, 2014 at 11:00am — 4 Comments

पांच दोहे - लक्ष्मण लडीवाला

झूठ सत्य की ओट रख, दे दूजे को चोट,

कडुवापन आनंद दे, जब हो मन में खोट |

 

मीठा लगता झूठ है, सनी चासनी बात 

पोल खुले से पूर्व ही, दे जाता आघात |

 

जैसी जिसकी भावना, वैसा बने स्वभाव 

मन में जैसी कामना, मुखरित होते भाव |

 

जितनी सात्विक भावना, तन में  वैसी लोच

पारदर्शी भाव बिना, विकसित हो ना सोच |

 

हिंसा की ही सोच में, प्रतिहिंसा के भाव,

सत्य अहिंसा भाव का, सात्विक पड़े प्रभाव |

(मौलिक व्…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 20, 2014 at 9:30am — 8 Comments

कुंडलियाँ छंद-लक्ष्मण लडीवाला

टिकती है क्या झूठ पर, रिश्ते की बुनियाद

झूठ बोल हर बात में, करते सदा विवाद |

करते सदा विवाद, सवाल पूछ कर देखे

मुखड़ा करे बयान, होंठ व ननन जब निरखे 

कहते है कविराय. कभी न सत्यता छिपती

रिश्ते की बुनियाद कभी न झूठ पर टिकती ||

(2)

डाली डाली में जहाँ,फूलों की मुस्कान,

मेरा देश अखंड वह, भारतवर्ष महान 

भारतवर्ष महान,छटा है मोहक न्यारी  

दुल्हन जैसा रूप,जहां खिलती हर क्यारी 

लक्ष्मण…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 11, 2014 at 7:30pm — 11 Comments

पांच दोहे – लक्ष्मण लडीवाला

हम है क्या कुछ भी नहीं, ईश अंश ही सार,

मन के भीतर रोंप दे, सद आचार विचार |

 

त्याग और सहयोग का, जिसके दिल में वास

माली जैसा भाव हो, उस पर ही विश्वास |

 

समय नहीं करुणा नहीं, बाते करते व्यर्थ,

भाव बिना सहयोग के, साथी का क्या अर्थ |

 

समीकरण बैठा सके, बहिर्मुखी वाचाल,

संख्या उनके मित्र की, होती बहुत विशाल |

 

घंटों उठते बैठते, कछु न मदद की आस,

समय गुजारे व्यर्थ में, दोस्त नहीं वे ख़ास…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 1, 2014 at 11:00am — 29 Comments

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