For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शिज्जु "शकूर"'s Blog – February 2015 Archive (4)

ग़ज़ल

122 122 122 122



ये अकुलाहटें मेरे मन की कहूँ क्या

तड़प बेकरारी नयन की कहूँ क्या



उठे है धुआँ सा दिलो जाँ से मेरे

जली है ज़मीं भी चमन की कहूँ क्या



चला जा रहा हूँ सफ़र में मैं पैहम

नहीं इंतिहा है थकन की कहूँ क्या



तरसता रहा उम्र भर फूल को वो

ये आराइशें इस कफ़न की कहूँ क्या



मुझे लूटकर घर तलक छोडा़ उसने

वफ़ा देखिये राहजन की कहूँ क्या



निशां बह गया वक्त की मौज के साथ

अदा रह गई बांकपन की कहूँ… Continue

Added by शिज्जु "शकूर" on February 24, 2015 at 7:36pm — 14 Comments

पाँच दोहे

मानव मन दुर्बल हुआ, जो पूजे इंसान ।
अंतर ईश मनुष्य का, ना समझे नादान।।

पंक घृणा के फेंककर, कहलाये भगवान।
इतनी सी इस बात को, समझे ना इंसान।।

अपनी अपनी है समझ, अपना अपना पंथ।
मन से दुर्बल के लिये, व्यर्थ सभी हैं ग्रंथ।।

रहे हृदय में आस्था, श्रृद्धा में हो ईश
बस उसके ही नाम पर, नत रखना तू शीश।।

मानव को मानव समझ, ऐसा रख व्यवहार।
बने हँसी का पात्र तू, ऐसा क्या आचार।।

-मौलिक व अप्रकाशित

Added by शिज्जु "शकूर" on February 13, 2015 at 8:00am — 9 Comments

पहली दफ़ा मुझे न खुशी से खुशी हुई

221 2121 1221 212

पहली दफ़ा मुझे न खुशी से खुशी हुई
दामे हयात में मेरी जाँ है फँसी हुई

घुटने लगा है दम मेरा रिश्तों के बोझ से
ये दुनिया जैसे बर्फ के अंदर धँसी हुई

तेरी शिकायतों का करूँ क्या कोई गिला
आँखों में तेरी दिख गई हसरत दबी हुई

था इक मलाल दिल में तगाफ़ुल का हमनशीं
वो बात तेरे वस्ल से आई गई हुई

औराक़ पर उतर गये पल इंतज़ार के
मिसरों में तेरी शक्ल सी मानो बनी हुई

-मौलिक व अप्रकाशित

Added by शिज्जु "शकूर" on February 10, 2015 at 10:30pm — 10 Comments

जो तेरी है कहानी वही मेरी दास्ताँ

221 2121 1221 212

जो तेरी है कहानी वही मेरी दास्ताँ

मैं भी अकेला और तू भी तन्हा है वहाँ

 

हर गाम मुँह चिढ़ाती हुई ज़िन्दगी हमें

हैरान मेरा दिल है परेशान तेरी जाँ

 

जो तेरी रहगुज़र है नहीं रास्ता मेरा

कोई खिंचाव तो है मगर अपने दरमियाँ

 

कुछ ख्वाब नातमाम अधूरी सी हसरतें

हो बेकरार तुम भी वहाँ और मैं यहाँ

 

ग़मगीन तुम उदास मैं भी हूँ “शकूर” और

खामोश ये जहान है चुप-चुप सा आसमाँ

 

-मौलिक…

Continue

Added by शिज्जु "शकूर" on February 1, 2015 at 12:23pm — 8 Comments

Monthly Archives

2023

2020

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
yesterday
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service