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रमेश कुमार चौहान's Blog – January 2014 Archive (2)

मेरा अपना गांव (रोला छंद)

मेरा अपना गांव, विश्‍व से न्यारा न्यारा ।

प्रेम मगन सब लोग, लगे हैं प्यारा प्यारा ।।

काका बाबा होय, गांव के बुजुर्ग सारे ।

हर सुख दुख में साथ, सखा बन काम सवारे ।।



अमराई के छांव, गांव के छोरा छोरी ।

खेले नाना खेल, करे सब जोरा जोरी ।।

ग्वाला छेड़े वेणु, धेनु धुन सुन रंभाती ।

मुख पर लेकर घास, उठा शिश स्नेह दिखाती ।।





मोहे पनघट नाद, सखी मिल करे ठिठोली ।

गारी देवे सास, करे बालम बरजोरी ।।

चारी चुगली खास, कथा सा सुने सुनावे ।

सभी… Continue

Added by रमेश कुमार चौहान on January 16, 2014 at 9:54pm — 9 Comments

कर लो कुछ विचार (दोहावली)

दिल पर रख कर हाथ तुम, कर लो कुछ विचार ।

देश धर्म के रक्षण पर, करते निज उपकार ।।



समय अभाव सभी कहे, समय साथ ना कोय ।

साथ समय का जो चले, निर्धनता ना होय ।।



समय बहुमूल्य रत्न है, मिले सदा बेमोल ।

पर्स रखे जो वक्त को, मगन रहे दिल खोल ।।



हल्ला भ्रष्‍टाचार का, करते हैं सब कोय ।

जो बदलें निज आचरण, हल्ला कैसे होय ।।



घुसखोरी के तेज से, तड़प रहे सब लोग ।

रक्तबीज के रक्त ये, मिटे कहां मन लोभ ।।



मिट रहा अपनापन अब, नही बचा चितचोर…

Continue

Added by रमेश कुमार चौहान on January 16, 2014 at 9:04am — 13 Comments

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