For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कह मुकरियां (-रमेश चौहान)

कह मुकरियां
1.
श्‍याम रंग तुम्हरो लुभाये ।
रखू नैन मे तुझे छुपाये ।
नयनन पर छाये जस बादल ।
क्या सखि साजन ? ना सखि काजल ।

2.
मेरे सिर पर हाथ पसारे
प्रेम दिखा वह बाल सवारे ।
कभी करे ना वह तो पंगा ।
क्या सखि साजन ? ना सखि कंघा

3.
उनके वादे सारे झूठे ।
बोल बोले वह कितने मिठे ।
इसी बल पर बनते विजेता ।
क्या सखि साजन ? ना सखि नेता ।।

4.
बाहर से सदा रूखा दिखता ।
भीतर मुलायम हृदय रखता ।।
ईश्‍वर भी हो जाये कायल ।
क्या सखि साजन ? न सखि नारियल ।।

5.
हमेशा मेरे साथ रहते ।
बात सदा करने को कहते ।
उनसे बाते कर करू स्माइल ।
क्या सखि साजन ? ना मोबाइल ।।
---------------------------
मौलिक अप्रकाशित

Views: 539

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 5, 2014 at 1:04am

इस प्रयास के लिए बधाई. सुझावों पर ध्यान दें आदरणीय.

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 24, 2014 at 8:53pm

कहमुकरियों पर उत्साह में आपको प्रयास करते देखना अच्छा लगा 

मात्रिकता और गेयता दोनों पर और ध्यान देने की ज़रुरत है, साथ ही मूल शब्दों को सुविधानिसार तोड़ मोड़ कर छंदों में प्रयोग नहीं करना चाहिए जैसे मिठे तुम्हरो ..आदि 

शुभकामनाएं 

Comment by बृजेश नीरज on February 20, 2014 at 7:07pm

अच्छा प्रयास है कह-मुकरियों पर भाई जी! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 19, 2014 at 10:29pm

बहुत सुंदर कह-मुकरियाँ , मन को छू गई बधाई आदरणीय रमेश जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 18, 2014 at 8:41pm

भाई रमेश जी कहमुकरियों पर प्रयास अच्छा है शुभकामनायें

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 18, 2014 at 4:40pm

जी "मिठे" में वर्तनीय दोष का मै अपराधी हू, क्षमा चाहता हू । यहां संशोधन की क्या प्रक्रिया है ?


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 18, 2014 at 4:21pm

आदरणीय रमेश भाई ,  श्‍याम = 3   /  रंग = 3    /तुम्हरो = 4    /लुभाये  = 5 ,     इस पंक्ति मे  मात्रा 15 हैं ,     

बोल बोले वह कितने मिठे , इस पंक्ति मे शब्द मीठे को आपने मिठे कर दिया है , शब्द को सही करने से मात्रा 17 हो जायेगी -

इसे , बात करे  वो मीठे मीठे  किया जा सकता है  या जैसा आप सोचें ॥

हाथ पसारे , इस कहावत का उपयोग भी सही अर्थों मे नही हो पाया है ,  इसका अर्थ मांगना के अर्थ मे किया जाता है , और कोई अर्थ हो तो मुझे नही मालूम , इसे भी देख लीजियेगा ॥

Comment by Sarita Bhatia on February 18, 2014 at 10:47am

सुन्दर प्रयास भाई 

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 18, 2014 at 9:58am

आदरणीय पाठकजी एवं गिरिराजजी, मनोबल बढाने के लिये सादर आभार ।

आदरणीयगिरिराजजी त्रुटि के प्रति आगाह करने के लिये सादर धन्यवाद, निवेदन यह कि मै दुबारा मात्राओं का गणना करके देखा किंतु मै त्रुटि पकड नही पाया शायद कहीं पर मुझसे चूक हो रही हो कृपया स्पष्ट कर देते तो अनुग्रह होता ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 17, 2014 at 10:44pm

आदरणीय रमेश भाई , मुकरियाँ का सुन्दर प्रयास हुआ है ,  आपको बधाई !! एक दो स्थान के मात्रा मे ग़डबड़ी है शायद , गिन के देख लीजियेगा ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
16 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service