एक बालक था | बालक बेरोजगार था | बहुत प्रयास किया, पर सही रोजगार नहीं मिला | अंततः थक हारकर वो जुगाड़ू बाबा की शरण में गया | उसने जुगाड़ू बाबा को अपना दुखड़ा सुनाया | उसका दुखड़ा सुनकर जुगाड़ू बाबा ने उसे दो मिर्च, एक काला धांगा और एक नींबू दिया और बोले इनको गूथ और बेच | बालक बोला- बाबा ! ये क्या रोजगार है ? बालक की बात सुनकर ऐसे मुस्कुराये जुगाड़ू बाबा, जैसे बालक ने कोइ बचकानी बतिया दी हो | वो बोले - बालक ! तू अभी अनुभवहीन है, तुझे इस संसार का कुछ नहीं पता है, इसीलिए ऐसी बेतुकी बात पूछ रहा है | इस…
ContinueAdded by पीयूष द्विवेदी भारत on January 27, 2013 at 12:30pm — 6 Comments
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