For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सफर में चलते रहना ही हमारी कामयाबी है (गज़ल)

अरकान : १२२२/ १२२२/ १२२२/ १२२२

गिरें  तो  फिर  सम्हलना  ही  हमारी  कामयाबी है !

सफर  में  चलते  रहना  ही  हमारी  कामयाबी  है !

 

नही  ये कामयाबी  है  कि  मंजिल  पा  लिया हमने

सही   राहों  पे  चलना   ही  हमारी  कामयाबी  है !

 

मुहब्बत   में   तुम्हारी   हार   ही  हरबार पाए, पर

मुहब्बत  तुमसे  करना  ही  हमारी   कामयाबी  है !

 

भले   ही  मौत  आए, पर सहेंगे  अब  नही जालिम

मरे  तो  लड़  के  मरना ही  हमारी  कामयाबी  है !

 

तुम्हारे प्यार में जो गम, खुशी  हमको  मिली  जानम

गज़ल  में  उसको   भरना  ही  हमारी  कामयाबी है !

 

-पीयूष भारत

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 932

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on September 26, 2013 at 9:25am

बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय बृजेश जी !

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on September 26, 2013 at 9:21am

मतले को सराहने व उचित सुझाव देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया, आदरणीय वीनस भाई ! कुछ अशआर में मुझे भी लगा कि ही/ भी की समस्या है ! पर भावों के मोह या पता नही किन कारणों से नजरंदाज कर गया ! बहरहाल, अब इसमे सुधार का पूरा प्रयास करूंगा ! जी 'सम्हलना' को अभी संभलना करता हूँ ! सादर आभार !

Comment by वीनस केसरी on September 26, 2013 at 2:51am

गिरें  तो  फिर  सम्हलना  ही  हमारी  कामयाबी है !

सफर  में  चलते  रहना  ही  हमारी  कामयाबी  है !

 
वाह वा
मतला बेपनाह खूबसूरत हुआ है ढेरो दाद

आगे के कुछ अशआर ही/भी में उलझ कर रह गए ... रदीफ के अंश ही को निभा पाना थोडा मुश्किल है अगर उला में थोडा तबदीली करें तो अशआर और बेहतर हो सकते हैं

सम्हलना - सँभलना

Comment by बृजेश नीरज on September 25, 2013 at 9:46pm

बहुत सुन्दर रचना! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on September 25, 2013 at 3:40pm

तहे दिल से आभारी हूँ, आदरणीय विजयश्री जी !

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on September 25, 2013 at 3:38pm

बहुत बहुत शुक्रिया, आदरणीय चन्द्र शेखर जी !

Comment by vijayashree on September 25, 2013 at 3:19pm

गिरें  तो  फिर  सम्हलना  ही  हमारी  कामयाबी है !

सफर  में  चलते  रहना  ही  हमारी  कामयाबी  है !

 

नही  ये कामयाबी  है  कि  मंजिल  पा  लिया हमने

सही   राहों  पे  चलना   ही  हमारी  कामयाबी  है !

वाह बहुत खूब  बधाई स्वीकारें  पियूष द्विवेदी जी 

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on September 25, 2013 at 1:57pm

सुन्दर बाबहर ग़ज़ल के लिए बधाई आपको आदरणीय 'भारत' जी

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on September 25, 2013 at 12:12pm

बहुत बहुत धन्यवाद, आ. अरुण भाई जी !

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on September 25, 2013 at 12:12pm

दिल से शुक्रिया, आ. सारथी भाई जी !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service