एक गाँव था ! वहां बहुत सारे पापी रहते थे ! पाप करते और पानी से धो लेते ! धोते-धोते एकदिन सारा पानी खत्म हो गया ! पानी खत्म होने पर उन पापियों के पाप से गाँव तपने लगा ! उस तपन को पापियों ने नज़रंदाज़ कर दिया और पहले की ही तरह पाप करते रहे ! तपते-तपते आखिर एकदिन बड़ी भयानक आग उठी और उन पापियों को जलाने के लिए बढ़ने लगी ! पानी तो था नही, इसलिए पापियों ने आग से बचने के लिए उसपर खूब सारी मिटटी डाल दी ! आग दबने लगी, पापी खुश होने लगे कि तभी बड़ी जोर से आंधी आई और सारी मिट्टी उड़ गई ! अब हवा से परवाज पाकर आग और तेज हो उठी ! उसने सब पापियों को जलाकर राख कर दिया ! गाँव में क्रांति आ गई !
-पियुष द्विवेदी ‘भारत’
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय वसुंधरा जी !
क्या बात है.....
बहुत सुन्दर !
आदरणीय सीमा जी, सौरभ जी, अमन जी, जितेन्द्र जी, अविनाश भाई जी, गीतिका जी तथा अनुपमा जी, आप सभीने इस रचना को अपना बहुमूल्य समय दिया और इसे सराहा, ये सार्थक हुई ! आप सभीको बहुत बहुत धन्यवाद !
adarniy piyush ji bahut badhiya chhap chhodti laghu katha ke liye badhai
बहुत खूब कथा, बढ़िया... सही बिम्ब चयन ने सही प्रभाव छोड़ा !
सादर !!
हार्दिक बधाई आदरणीय पियूष जी...अच्छी प्रस्तुति .
"पापियों का देर से ही सही, पर अंत जरुर होता है"
हार्दिक बधाई आदरणीय पियूष जी
सही सन्देश है पाप को छुपा नही सकते ................
आभार
गाँव में क्रान्ति आ गयी.... बहुत अच्छी लघुकथा.. बधाई!
पाप का घडा कभी तो भरता ही है .......अच्छी प्रस्तुति
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online