For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शैक्षिक व्यस्तताओं तथा गाँव यात्रा के कारण काफी समय तक ओबीओ से दूर रहना पड़ा ! इतने दिनों में काफी याद आया अपना ये ओबीओ परिवार ! लगभग पाँच महीने बाद आज पुनः ओबीओ पर लौटा हूँ ! सर्वप्रथम सभी आदरणीय मित्रों को नमस्कार, तत्पश्चात ये एक छोटी-सी गज़ल नज़र कर रहा हू ! इसके गुणों-दोषों पर प्रकाश डालकर, मुझ अकिंचन को कृतार्थ करें ! सादर आभार !

अरकान : २१२२/२१२२

जिन्दगी की क्या कहानी !

गर नही आँखों में पानी !

भ्रष्टता घर-घर की दौलत –

भीतियों की ये बयानी !

हो मुआफी गलतियों पर,

ये जवानी है दिवानी !

इश्क को इज्ज़त दिया वो,

जो है उसपे बेज़ुबानी !

दुश्मनी ना, यार हों सब,

और दौलत क्या कमानी !

हेम-से ख्वाबों की बस्ती –

धूल-सी ये जिंदगानी !

-पियुष द्विवेदी भारत

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 863

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on July 26, 2013 at 7:44am

शुक्रिया, वीनस भाई, गज़ल को सराहने व उचित सलाह देने के लिए !

Comment by वीनस केसरी on July 26, 2013 at 3:41am

भ्रष्टता.... ये शब्द चौंका रहा है भाई इसके प्रति आप भी आश्वस्त हो लीजिए ,,,

ग़ज़ल का प्रयास बढ़िया रहा ...
अभी कई मंजिलों को पार करना है ...
आत्ममुग्ध हुए बिना बढते रहिये

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on July 24, 2013 at 3:11pm

सादर धन्यवाद, आशुतोष जी !

अब ये शेर कि

इश्क को इज्ज़त दिया वो,

जो है उसपे बेज़ुबानी !

तो इसका अर्थ होगा कि जो इश्क की प्रशंसा में कुछ नही बोला यानी उसकी अनंतता को मौन स्वीकृति दिया, वही इश्क को सही मायने में इज्ज़त दे पाया ! क्योंकि, भाई जी, इश्क तो अनंत है, इस पर भला कोई क्या कह सकता है !

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 24, 2013 at 2:54pm

अच्छी ग़ज़ल ...

इश्क को इज्ज़त दिया वो,

जो है उसपे बेज़ुबानी ..बस ये शेर समझ में नहीं आया ..कृपया बताने का कास्ट करें

सादर बधाई के साथ 

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on July 24, 2013 at 11:03am

आदरणीय तिलक जी, आदरणीय अभिनव जी तथा आदरणीय आशीष जी, आप सभी ने इस गज़ल को सराहा, काफी निश्चिंतता मिली ! बहुत बहुत धन्यवाद !

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on July 23, 2013 at 11:24pm

दुश्मनी ना, यार हों सब,

और दौलत क्या कमानी !...  वाह !!!

Comment by Abhinav Arun on July 23, 2013 at 9:04pm
वाह बहुत खूब ग़ज़ल पियूष जी --

हो मुआफी गलतियों पर,

ये जवानी है दिवानी !

भाई जी बधाई हर शेर उम्दा है !!

Comment by Tilak Raj Kapoor on July 23, 2013 at 8:36pm

अच्‍छी है भाई।

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on July 23, 2013 at 7:31pm

धन्यवाद, आदरणीय अन्नपूर्णा जी !

Comment by annapurna bajpai on July 23, 2013 at 7:28pm

दुश्मनी न किसी से

और दौलत क्या कमानी , वाह  बहुत ही बढ़िया गजल के लिए बधाई स्वीकारें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service