For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सतविन्द्र कुमार राणा's Blog – January 2017 Archive (3)

निराशा को आशा बनाता रहेगा(गजल)/सतविन्द्र कुमार राणा

122 122 122 122

बिना बात बातें बनाता रहेगा

शरारत से सब को छकाता रहेगा।



निराशा को आशा बनाता रहेगा

तेरा दिल ये तुझको सिखाता रहेगा।



हमेशा ही मन काला जिसका रहा है

वो नजरें सभी से चुराता रहेगा।



मजा जिसको आता चिढ़ाने में सबको

चढ़ाता रहेगा गिराता रहेगा।



नहीं भूल ये,नूर तुझमें बसा है

तू तारों सा ही टिमटिमाता रहेगा।



फरेबों में जिसकी चली जिंदगानी

वो हरदम किसी को सताता रहेगा।



रहे जुल्म होते जो जनता पे… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on January 30, 2017 at 10:41am — 10 Comments

तरही गजल/सतविन्द्र कुमार राणा

1222 1222 1222 122

चला दुनिया को समझाने जो घर तकरार रखता है

नहीं हैं पूछते अपने वो क्या अधिकार रखता है?



चला है जीतता वो जो,खुदा से प्यार रखता है

भले ही जीत मिलती याद फिर भी हार रखता है



जमीं अपनी नहीं कोई यही लेकिन गुमाँ दिल में

*वो अपनी मुठ्ठियों में बांधकर संसार रखता है!*



लगा क्यों दब गया है वो सभी जुल्मों से अब डरकर?

खमोशी सी है चहरे पे मगर ललकार रखता है।



हमेशा चाहता अच्छा जो भी अपने ही बच्चों का

दिखे है सख्त ऊपर से वो… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on January 6, 2017 at 4:43pm — 9 Comments

तरही गजल/सतविन्द्र कुमार राणा

तरही गजल

बह्र:122 122 122 122

काफ़िया:अर

रदीफ़:देख लेना

---

गरीबों के दिल में है डर देख लेना

अमीरों की तिरछी नजर देख लेना।



नहीं तीरगी की हमें फ़िक्र कोई

नए हौंसलों की सहर देख लेना।



जरूरत नहीं है अभी बोलने की

खमोशी जो लाए ग़दर देख लेना।



मुहब्बत को मेरी भुला क्या सकेंगे?

*वो आएँगे थामे जिगर देख लेना।*



मेरा दर्द ही दर्द उनका बना है

मेरे अश्क उन गाल पर देख लेना।



सहारा बनोगे तभी फल वो देंगे

जरा… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on January 1, 2017 at 10:30am — 28 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

1999

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
15 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service